Indian News : नईदिल्ली | भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने ई-रूपी प्रीपेड डिजिटल वाउचर की सीमा को 10 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया। साथ ही लाभार्थियों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के डिजिटल वितरण की सुविधा के लिए इसके कई बार उपयोग की इजाजत दी। 

क्या है ई-रूपी वाउचर- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल जुलाई में ई-रूपी की पेशकश की थी और कहा था कि वाउचर-आधारित प्रणाली देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाएगी। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा विकसित ई-रूपी प्रीपेड डिजिटल वाउचर को उपभोक्ताओं के लिए अगस्त 2021 में पेश किया गया था। तब इसे एक खास व्यक्ति और खास मकसद के लिए 10 हजार रुपये के ‘कैशलेस वाउचर’ के रूप में जारी किया गया था। इसे सिर्फ एक बार भुनाने की सुविधा थी।

मौद्रिक नीति की खास बातें- बता दें कोरोना महामारी को देखते हुए आरबीआई ने अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार देने के मकसद से रेपो में लगातार 10वीं बार कोई बदलाव नहीं किया। इसे चार प्रतिशत के निचले स्तर पर बरकरार रखा गया। नीतिगत दर यथावत रहने का मतलब है कि बैंक कर्ज की मासिक किस्त यानी ईएमआई में कोई बदलाव नहीं होगा।  आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों द्वारा अन्य उपयोग के मामलों पर सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है। इसके अलावा आरबीआई ने महंगाई की ऊंची दर के बीच नीतिगत मामले में उदार रुख को बरकरार रखा।




क्या है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट- आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए कहा की मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी ने रेपो दर को चार प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय किया है। साथ ही रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत पर यथावत रखा है। रेपो दर वह दर है जिसपर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो दर के तहत बैंकों को अपना पैसा आरबीआई को देने पर ब्याज मिलता है।

गवर्नर ने कहा कि मौद्रिक नीति के मामले में कदम सोच-विचारकर उठाये जाएंगे और चीजों के बारे में समय रहते जानकारी दी जाएगी। इसके जरिये उन्होंने संकेत दिया कि रिजर्व बैंक की तरफ से चौंकाने करने वाला कोई कदम नहीं होगा। उनके मुताबिक सरकार के पूंजीगत खर्च और निर्यात पर जोर से उत्पादक क्षमता बढ़ेगी और इससे सकल मांग मजबूत होगी। इससे निजी निवेश भी बढ़ेगा।

जीडीपी दर का अनुमान घटाया- अगले वित्त वर्ष के लिए आरबीआई ने आर्थिक वृद्धि दर (जीडीपी) 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। इसके अलावा चालू वित्त वर्ष के लिए पहले के अनुमान को 9.5 फीसदी से घटाकर 9.2 फीसदी कर दिया है। केंद्रीय बैंक का कहना है कि महामारी के कारण उत्पन्न अनिश्चितता और वैश्विक स्तर पर कमोडिटी के दामों में तेजी की आर्थिक वृद्धि पर असर पड़ने की आशंका है।

अगले साल महंगाई घटने का अनुमान- केंद्रीय बैंक ने अगले वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी है जो चालू वित्त वर्ष में 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। मुख्य रूप से खाने का सामान महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर महीने में बढ़कर पांच महीने के उच्च स्तर 5.59 प्रतिशत हो गयी जो नवंबर में 4.91 प्रतिशत थी। खुदरा महंगाई चालू वित्त वर्ष में औसतन पांच फीसदी से अधिक रही है।वहीं, थोक महंगाई दर मामूली रूप से कम होकर 13.56 प्रतिशत रही। हालांकि यह लगातार नौ महीने से दहाई अंक में बनी हुई है। दास ने कहा कि सकल मुद्रास्फीति (हेडलाइन इनफ्लेशन) 2021-22 की चौथी तिमाही में उच्च स्तर पर रह सकती है। हालांकि, यह लक्ष्य दायरे के भीतर होगी और 2022-23 की दूसरी छमाही में नरम होगी। इससे मौद्रिक नीति क रुख उदार बने रहने की गुंजाइश होगी।

स्वास्थ्य क्षेत्र को 50 हजार करोड़ की राहत- आरबीआई ने आपात स्वास्थ्य सेवाओं के लिये 50,000 करोड़ रुपये की नकदी सुविधा तीन महीने यानी 30 जून, 2022 तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया। आरबीआई ने पिछले साल मई में तीन साल की अवधि के लिये रेपो दर पर सदा-सुलभ नकदी व्यवस्था की घोषणा की थी। इसका मकसद कोविड-19 संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े बुनियादी ढांचा तथा सेवाओं को मजबूत बनाने के लिये नकदी उपलब्ध कराना था। इस योजना के तहत बैंकों को तेजी से कर्ज देने को लेकर प्रोत्साहित करने के लिये कर्ज को 31 मार्च, 2022 तक प्राथमिक श्रेणी के अंतर्गत रखा गया था।

टाटा कैपिटल  के एमडी और सीईओ राजीव सभरवाल ने आरबीआई के फैसले पर कहा, “बाजार की उम्मीदों के विपरीत भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों को स्थिर रखा है जिससे इससे अर्थव्यवस्था में विकास की गति तेज होगी।” 

फिक्स्ड इनकम, पीजीआईएम इंडिया के हेड पुनीत पाल का कहना है कि आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी से परहेज किया है और यह दोहराते हुए अपने उदार रुख को बरकरार रखा है कि जब तक आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बनाए रखने के लिए आवश्यक होगा, तब तक वह समायोजन के रुख को बनाए रखेगा।

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