Indian News : 12 सितंबर 1996 को HD देवगौड़ा की सरकार ने 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में ससंद में महिला आरक्षण विधेयक को पेश किया था, उस समय यूनाइटेड फ्रंट की सरकार थी, जो 13 पार्टियों का गठबंधन था, लेकिन सरकार में शामिल जनता दल और अन्य कुछेक पार्टियों के नेता महिला आरक्षण के पक्ष में नहीं थे | इस विरोध की वजह से विधेयक को CPI की गीता मुखर्जी की अगुवाई वाली संयुक्त समिति के समक्ष भेजा गया |

इस 31 सदस्यीय संसदीय समिति में ममता बनर्जी, मीरा कुमार, सुमित्रा महाजन, नीतीश कुमार, शरद पवार, विजय भास्कर रेड्डी, सुषमा स्वराज, उमा भारती, गिरिजा व्यास, रामगोपाल योदव, सुशील कुमार शिंदे और हन्नाह मोल्लाह शामिल थे |

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मोदी सरकार का असली सरप्राइज अभी बाकी है!




पीएम मोदी ने संसद के विशेष सत्र की शुरुआत से ठीक पहले कहा था कि ये ऐतिहासिक निर्णयों का सत्र है. सरकार अब महिला आरक्षण बिल पेश करने जा रही है लेकिन क्या यही वह ऐतिहासिक निर्णय है जिसकी बात उन्होंने की थी या असली सरप्राइज अभी बाकी है?

संसद के विशेष सत्र के आह्वान से लेकर इसकी शुरुआत तक, खूब हो-हल्ला हुआ. इस सत्र के एजेंडे को लेकर कयासों का दौर भी खूब चला. देश का नाम बदलने से लेकर समान नागरिक संहिता, महिला आरक्षण और वन नेशन वन इलेक्शन तक की बात हुई. विपक्ष सरकार से एजेंडा बताने की मांग करता रहा. सरकार ने जब एजेंडा बताया, उसमें इनमें से किसी का भी जिक्र नहीं था. सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ऐतिहासिक निर्णयों का सत्र बताया और फिर शाम होते-होते कैबिनेट मीटिंग की खबर आ गई |

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कैबिनेट ने महिला आरक्षण बिल संसद में पेश किए जाने पर मुहर लगा दी. महिला आरक्षण बिल पर कैबिनेट की मुहर को पीएम मोदी के बयान से कनेक्ट कर ऐतिहासिक सरप्राइज बताया जा रहा है. लेकिन अब बहस इस बात को लेकर भी छिड़ गई है कि क्या मोदी सरकार का असली सरप्राइज आना अभी बाकी है या महिला आरक्षण बिल ही वह ‘ऐतिहासिक सरप्राइज’ है जिसकी बात पीएम मोदी ने सत्र की शुरुआत से ठीक पहले कही थी?

कांग्रेस भी महिला आरक्षण बिल को अपना बता रही है. महिला आरक्षण बिल के क्रेडिट वार में कांग्रेस भी कूद पड़ी है. ऐसे में चर्चा है कि सरकार कुछ अलग करेगी | आरक्षण को लेकर अब डुअल मेंबरशिप के फॉर्मूले की बात हो रही है. कहा जा रहा है कि 180 लोकसभा सीटों पर पुरुषों के साथ ही महिला सांसदों के भी चुने जाने की बात सामने आ रही है. 2027 में सीटों की संख्या बढ़ने तक ये फॉर्मूला लागू रहेगा |

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