Indian News : बिहार राज्य का पहला जैविक सैनिटरी पैड उत्पादन इकाई बक्सर जिले के चौसा प्रखंड के अखौरिपुर गोला में 60 लाख रुपये की लागत से स्थापित किया गया है। इस यूनिट का संचालन जननी जीविका महिला समूह द्वारा किया जा रहा है, जो ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
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ग्रामीण महिलाओं की आत्मनिर्भरता का नया कदम
चौसा प्रखंड में स्थापित इस जैविक सैनिटरी पैड उत्पादन इकाई ने ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। शुरुआत में जहां 18 महिलाएं काम कर रही थीं, अब इनकी संख्या बढ़कर 22 हो गई है। यह इकाई आदर्श जीविका महिला विकास स्वावलंबी सहकारी समिति लि. द्वारा संचालित की जा रही है और जिला प्रशासन एवं जीविका द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त की गई है।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता
इस यूनिट द्वारा निर्मित जैविक सैनिटरी पैड की विशेषता यह है कि उपयोग के बाद ये मिट्टी में मिलकर गल जाते हैं, जिससे पर्यावरण पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता। बाजार में बिक रहे सैनिटरी पैड में केमिकल और प्लास्टिक का उपयोग होता है, जबकि चौसा की यूनिट में 100 प्रतिशत रुई का उपयोग किया जाता है।
उत्पादन और सप्लाई व्यवस्था
चौसा स्थित यूनिट में प्रतिदिन 1800 पैड का उत्पादन हो रहा है। इन पैड्स की आपूर्ति जिले के बालिका उच्च विद्यालय और स्थानीय महिलाओं की दुकानों के माध्यम से की जा रही है। यूनिट में कुल आठ प्रकार की मशीनें लगी हुई हैं, जो विभिन्न प्रकार के पैड्स का निर्माण करती हैं।
महिलाओं के लिए रोजगार और वेतन
इस इकाई में काम करने वाली 22 महिलाओं को न्यूनतम 4 हजार रुपये प्रति माह वेतन दिया जा रहा है। वर्तमान में केवल डे शिफ्ट में ही उत्पादन हो रहा है, जिससे महिलाएं दिन में ही काम कर पा रही हैं। यूनिट में दो किस्म के जैविक सैनिटरी पैड बनाए जा रहे हैं, जिनकी कीमत 32 और 34 रुपये प्रति पैकेट है।
स्थानीय महिलाओं का अनुभव
यूनिट में काम करने वाली तारा देवी ने बताया कि जीविका से जुड़ने के बाद उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया है। जीविका ने उनके परिवार को आर्थिक तंगी से उबरने में मदद की है और उनके जीवनस्तर को बेहतर बनाया है।
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