Indian News : 2014 में देवेंद्र नगर निवासी जैन परिवार जयपुर से चेन्नई सुपर फास्ट ट्रेन में बैठकर रायपुर आ रहा था। यात्रा के दौरान आरक्षित कोच में उन्होंने अपना सामान सीट के साथ चेन से बांध रखा था। चोर चेन काटकर सामान चुरा ले गए। रेलवे ने पीड़ित परिवार को दोषी ठहराते हुए किसी तरह की क्षतिपूर्ति देने से इंकार कर दिया। परिवार ने रेलवे के खिलाफ उपभोक्ता आयोग में केस दायर किया। राज्य उपभोक्ता आयोग ने विवेचना के बाद चोरी के लिए रेलवे को जिम्मेदार माना और रेलवे को 7.18 लाख तथा मानसिक क्षतिपूर्ति के तौर पर पांच हजार देने के आदेश दिया। यही नहीं, इस वारदात के लिए रेलवे सुरक्षा बल और टीटीई की भूमिका पर भी फोरम ने सवाल उठाए हैं।

केस डायरी के अनुसार देवेंद्र नगर रायपुर निवासी शालिनी जैन, उनके पति भूपेंद्र जैन तथा परिवार के कुछ अन्य लोग रिश्तेदार की शादी में जयपुर गए थे। जयपुर-चेन्नई सुपर फास्ट ट्रेन से रायपुर लौट रहे थे। सामान से भरा बैग उन्होंने सीट के नीचे चेन से बांध रखा था। यात्रा के दौरान परिवार के सदस्य वाशरूम गए। लौटने के बाद उन्होंने देखा कि चेन कटी हुई है और सामान गायब है। उन्होंने इसकी शिकायत टीटीई और रेलवे गार्ड के पास उसी समय चलित एफआईआर करवायी। जैन दंपत्ति ने नागदा स्टेशन में उतरकर जीआरपी में एफआईआर की रिसिविंग ली।

डीआरएम दफ्तर में चोरी की इस घटना के लिए आवेदन प्रस्तुत किया और मुआवजे की मांग की। रेलवे ने घटना के लिए पीड़ित परिवार को जिम्मेदार मानते हुए मुआवजा देने से इंकार कर दिया था। तब जैन दंपत्ति ने रायपुर जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद पेश किया। आयोग ने रेलवे को दोषी ठहराते हुए। सामान की कीमत और मानसिक क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय भुगतान करने का आदेश दिया। रेलवे ने आदेश के खिलाफ राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की।

आयोग ने कहा कि जिला आयोग में प्रस्तुत दस्तावेजों में कहीं कोई कमी नहीं है। पीड़ित ने घटना की तत्काल सूचना रेलवे को दी। इस आधार पर रेलवे को पीड़ितों के सामान की कीमत 7.81 रुपए छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ देनी होगी। पांच हजार मानसिक क्षति तथा दो हजार वाद व्यय भी देना होगा।

भूपेंद्र जैन ने बताया-जयपुर में एक दोस्त की शादी थी। पत्नी और परिवार के अन्य लोगों के साथ हम जयपुर-चेन्नई सुपर फास्ट ट्रेन से लौट रहे थे। एसी थर्ड की हमारी दो बोगी रिजर्व थी। रेलवे की गलती के कारण एसी थर्ड की एक बोगी एसी टू में बदल गई थी। इस वजह से हमारे कुछ फैमिली मेंबर थोड़ी दूर वाली बोगी में थे। हम सीट पर लॉक लगाकर अपनी बोगी में थे। सवाई माधोपुर स्टेशन में ट्रेन रुकी। तब ट्रेन में भीड़ बढ़ गई। कुछ अज्ञात लोग भी रिजर्व कोच में चढ़ गए। पत्नी सीट में बैठी हुई थी। हम वहीं पर थे। वाइफ वाशरूम गई। लौटकर आने पर उसने देखा कि चेन कटी है और उससे बंधा सूटकेस गायब है। हमने टीटीई से शिकायत की और कंप्लेन रजिस्टर मांगा। उन्होंने कहा कि रजिस्टर नहीं है। गार्ड के पास जाओ। हम गार्ड के पास पहुंचे। उनसे सादे कागज और कार्बन लेकर शिकायत दर्ज की। रात करीब ट्रेन कोटा स्टेशन पहुंची। कोटा जीआरपी थाने में हमने शिकायत की और एफआईआर की रिसीविंग ली। रायपुर पहुंचकर हमने रेलवे में क्लेम किया।

कानूनी लड़ाई में मजबूत रहना हो तो यह करें

वारदात की तत्काल सूचना टीटीई, गार्ड को दी जाए

तत्काल ट्रेन में ही एफआईआर करवाना फायदेमंद

कंप्लेन रजिस्टर न हो तो सादे कागज में आवेदन दें

गार्ड और टीटीई से कंप्लेन में सील-साइन जरूर लें

फोरम ने कहा- रेलवे की यह जिम्मेदारी

आरक्षित कोच में अनाधिकृत लोगों का प्रवेश रोके

रात को ट्रेन में आरपीएफ व जीआरपी की पेट्रोलिंग

कंप्लेंट रजिस्टर हर हाल में टीटीई, गार्ड के पास हो

यात्रियों की शिकायत पर अटेंडेंट तत्काल कार्रवाई करे

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