Indian News : आगरा | उत्तर प्रदेश के आगरा में एक 14 वर्षीय छात्र ने अपने अपहरण की झूठी कहानी बनाई, जिसके बाद उसे सदर बाजार स्थित मंदिर से सुरक्षित मिला। दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) के आठवीं कक्षा के इस छात्र का बैग नॉर्थ ईदगाह कॉलोनी में मिला था, जिसके बाद परिजनों ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद पाया कि छात्र खुद ही घर से भागा था और उसका अपहरण का दावा झूठा था।

छात्र के लापता होने की रिपोर्ट

नॉर्थ ईदगाह कॉलोनी निवासी व्यवसायी का 14 वर्षीय बेटा डीपीएस में आठवीं कक्षा का छात्र है। शाम को ट्यूशन के बाद जब वह घर नहीं लौटा, तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। कॉलोनी में उसका बैग मिला, जिससे परिजनों की चिंताएँ बढ़ गईं और उन्होंने थाना रकाबगंज में गुमशुदगी की तहरीर दी। पुलिस ने छात्र की खोजबीन शुरू की और कुछ घंटों बाद उसे सदर बाजार के बालाजी मंदिर में खोज लिया।




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झूठा अपहरण का दावा

मंदिर में मिलने के बाद छात्र ने पुलिस को बताया कि उसे बाइक सवार दो युवकों ने जबरन अपने साथ ले गए और छोड़ने के बाद भाग गए। लेकिन जब पुलिस ने ईदगाह कॉलोनी से सदर तक के सीसीटीवी फुटेज की जांच की, तो पाया कि छात्र पैदल ही मंदिर की ओर जा रहा था। इससे पुलिस को छात्र की कहानी पर शक हुआ और जांच के बाद उसने स्वीकार कर लिया कि वह खुद ही घर से भागा था।

पढ़ाई के दबाव का कारण

छात्र ने पुलिस को बताया कि घर पर उसे पढ़ाई के लिए अत्यधिक दबाव महसूस हो रहा था, जिसके चलते उसने घर से भागने का निर्णय लिया। उसने अपहरण की झूठी कहानी बनाई ताकि परिजनों को उसकी स्थिति के बारे में पता न चले और वह कुछ समय के लिए शांति से रह सके। पुलिस ने उसकी सच्चाई जानने के बाद उसे परिजनों के हवाले कर दिया है।

पुलिस की कार्रवाई और प्रतिक्रिया

पुलिस ने छात्र के बयान की सच्चाई का पता लगाने के लिए सीसीटीवी फुटेज की विस्तृत जांच की। थाना प्रभारी ने कहा कि छात्र का अपहरण का दावा पूरी तरह से गलत था और उसने खुद ही अपने घर से भागने की योजना बनाई थी। पुलिस ने छात्र को उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया है और यह मामला अब समाप्त हो गया है।

5 शिक्षा के दबाव और परिवार की जिम्मेदारी

इस घटना ने यह सवाल उठाया है कि कैसे शिक्षा के दबाव और पारिवारिक अपेक्षाएँ बच्चों पर असर डाल सकती हैं। यह जरूरी है कि परिवार अपने बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ मानसिक रूप से भी समर्थन प्रदान करें और उनकी समस्याओं को समझें। इस घटना के बाद, परिवार और स्कूल दोनों को इस मुद्दे पर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।

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