Indian News : श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शादी ईदगाह (shri krishna birthplace – wedding idgah) विवाद को लेकर एक तरफ जहां कोर्ट ( court)में सुनवाई चल रही है वहीं इस मामले में एक और याचिका दाखिल (petition filed)कर हिंदू पक्षकार अधिवक्ता महेंद्र प्रताप (Mahendra Pratap) ने आगरा लालकिले (Agra Red Fort)के सर्वे की मांग की है।
इस याचिका में कहा गया है कि 1960 में औरंगजेब ने मथुरा में श्रीकृष्ण का मंदिर तोड़ा और वहां मौजूद मूर्तियां और बेशकीमती सामान लेकर आगरा के लाल किले चला गया। वहां बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे केशव देव की पौराणिक, बेशकीमती व रत्न जड़ित मूर्ति दबी है। याचिका में किले के सर्वे के साथ मूर्ति और बेशकीमती सामान को सीढ़ियों से निकालकर वापस दिलाने की मांग की गई है। कहा गया है कि सीढ़ियों के नीचे मूर्तियों के दबे होने की वजह से हिंदू भक्तों का अपमान हो रहा है।
मथुरा के सिविल जज की कोर्ट में दाखिल इस याचिका पर आज ही सुनवाई हो सकती है। बता दें कि गुरुवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में जिला जज की अदालत में पहली सुनवाई हुई थी। सीनियर डिविजन जज ने इस याचिका पर अगली सुनवाई के लिए एक जुलाई की तारीख तय की है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में याचिका सितंबर 2020 में कोर्ट में दाखिल की गई थी।
इस पर दो साल बाद तक सुनवाई हुई जब जिला अदालत ने आदेश दिया कि यह याचिका कोर्ट में दायर किए जाने योग्य है। आगरा किले में मूर्ति दबे होने के अपने दावे के समर्थन में अधिवक्ता महेंद्र सिंह ने औरंगजेब के मुख्य दरबारी साखी मुस्तेक खान की किताब ‘मासर-ए -आलम गिरी’ का हवाला दिया है। याचिका में डायरेक्टर जरनल आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया, अधीक्षक भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण आगरा, निदेशक भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण और केंद्रीय सचिव को पार्टी बनाया गया है।