Indian News : प्रयागराज | उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पापांकुशा एकादशी के अवसर पर श्रद्धालुओं ने संगम तट पर पवित्र डुबकी लगाने के लिए बड़ी संख्या में एकत्रित हुए। इस धार्मिक अवसर पर भक्तों ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी के संगम में स्नान किया और अपने पापों को धोने का प्रयास किया।

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पापांकुशा एकादशी का महत्व : पापांकुशा एकादशी, जिसे “पापांकुशा” या “पापाकुंठा” भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन पवित्र स्नान करने से श्रद्धालु के सभी पापों का नाश होता है।




संगम तट पर धार्मिक गतिविधियाँ : संगम तट पर श्रद्धालुओं ने न केवल स्नान किया, बल्कि भजन-कीर्तन भी किए। कई भक्तों ने पूजा-अर्चना के बाद दान-पुण्य का भी आयोजन किया। स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए थे, जिसमें चिकित्सा टीमों और सफाई कर्मियों की तैनाती शामिल थी।

प्रशासन द्वारा विशेष व्यवस्था : प्रयागराज प्रशासन ने इस मौके पर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई विशेष व्यवस्थाएँ की थीं। संगम तट पर CCTV कैमरे लगाए गए थे और पुलिस बल की तैनाती की गई थी। साथ ही, श्रद्धालुओं के लिए खाने-पीने के स्टॉल और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था भी की गई थी।

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श्रद्धालुओं का उत्साह : श्रद्धालुओं ने पापांकुशा एकादशी के अवसर पर संगम में स्नान करने के लिए सुबह से ही तट पर पहुंचना शुरू कर दिया था। कई भक्तों ने अपने परिवार के साथ इस पवित्र अवसर का लाभ उठाया और एक-दूसरे के साथ धार्मिक अनुष्ठान किए। श्रद्धालुओं ने बताया कि इस दिन का पवित्र स्नान उनके जीवन में एक नई ऊर्जा और सकारात्मकता लाता है।

धार्मिक आस्था का प्रतीक : पापांकुशा एकादशी पर संगम तट पर उमड़ा भक्तों का यह जनसैलाब इस बात का प्रतीक है कि भारतीय समाज में धार्मिक आस्था आज भी जीवित है। इस प्रकार के आयोजनों से न केवल श्रद्धालुओं की आस्था बढ़ती है, बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे की भावना भी प्रबल होती है।

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