Indian News : शादी एक पवित्र बंधन है, जिसमें हर कोई बंधना चाहता है। वहीँ दुनिया के हर देश में शादी के अलग-अलग रीति रिवाज होते हैं। कुछ परंपराएं बेहद खास होती हैं, जबकि कुछ बेहद हैरान करने वाले होती हैं। भारत विविधताओं का देश हैं और यहां पर अलग-अलग संस्कृति, परंपराएं और रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। देश के हर राज्य में शादी की अलग-अलग परंपराओं का पालन किया जाता है। ऐसी ही एक परंपरा का पालन राजस्थान के जोधपुर में किया जाता है।

जोधपुर में एक मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें सिर्फ महिलाओं का ही राज है। दुनिया का यह अनोखा मेला 16 दिनों तक चलता है। मेले के बाद सुहागिन महिलाएं पूरी रात सड़कों पर निकलकर बेंत से पुरुषों को पीटती हैं। मेले की सबसे खास बात यह है कि पुरुष खुद ही पीटते हैं और कोई बुरा नहीं मानता है। इस अनोखे मेले को बेंतमार मेले के नाम से भी जाना जाता है।

  • आइए जानते हैं इस अनोखे रीति रिवाज के बारे में…

बताया जाता है कि जोधपुर में प्राचीन समय से यह परंपरा चलती आ रही है। इस परंपरा में भाभी अपने देवर और दूसरे कुंवारे लड़कों को प्यार से छड़ी मारकर बताती हैं कि यह कुंवारा है। मान्यता है कि बेंत मारने से कुंवारे लड़कों की जल्द शादी हो जाती है। जोधपुर में आयोजित होने वाले इस मेले का नाम धींगा गवर है। मेले के दौरान 16 दिन तक गवर माता की पूजा की जाती है। फिर 16वें दिन महिलाएं पूरी रात घर से बाहर रहती हैं। अलग-अलग समय पर धींगा गवर की आरती करती हैं। इस मेले की खास बात यह है कि इसमें विधवा महिलाएं भी भाग लेती हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से परिवारों में सुख-समृद्धि आती है।




16 दिन तक चलने में वाले मेले में हर दिन धींगा गवर माता की पूजा की जाती है। पूजा करने वाली महिलाएं 12 घंटे तक निर्जला उपवास रखती हैं और दिन में सिर्फ एक बार खाना खाती हैं। चैत्र शुक्ल की तृतीया से इस पूजा की शुरुआत होती है और बैसाख कृष्ण पक्ष की तृतीया तक यह चलता है। पूजा में महिलाएं पहले दीवारों पर गवर की कलाकृति बनाती हैं। कच्चे रंग से भगवान शिव, गणेश जी, मूषक, सूर्य, चंद्रमा और गगरी लिए महिला का भी चित्र बनाया जाता है। इसमें 16 अंकों का खास महत्व होता है और 16 महिलाएं एक साथ पूजा करती हैं। यह संख्या न घटाई जा सकती है और न ही बढ़ाई जा सकती है।

  • 564 साल पुरानी है परंपरा

राव जोधा ने 1459 में जोधपुर की स्थापना की थी। मान्यता है कि तभी से ही धींगा गवर पूजा शुरू हुई थी। राज परिवार ने इस पूजा की परंपरा की शुरुआत की थी। 564 सालों से यह पूजा चलती आ रही है।

@indiannewsmpcg

You cannot copy content of this page