Indian News : इस साल अधिक मास पड़ने से सावन का महीना और भी खास बन गया है। अधिक मास की वजह से सावन इस बार करीब 59 दिनों का है। ऐसे में इस माह में पड़ने वाले कुछ व्रत और त्योहारों की संख्या भी बढ़ गई है। इस साल सावन में 8 सोमवार, 9 मंगला गौरी व्रत, 4 प्रदोष व्रत, 2 अमावस्या और 2 पूर्णिमा तिथि पड़ रही हैं। सावन की पहली पूर्णिमा तिथि 1 अगस्त को है ।
यह पूर्णिमा अधिक मास में पड़ रही है। वहीं सावन की दूसरी पूर्णिमा 30 अगस्त को है। अधिक मास की पूर्णिमा तिथि पर सत्यनारायण भगवान की पूजा करते हैं और कथा सुनते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं सावन अधिक मास की पूर्णिमा की पूजा विधि और महत्व |
सावन अधिक मास की पूर्णिमा 2023
सावन अधिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 1 अगस्त, दिन मंगलवार को भोर में 03 बजकर 51 मिनट से होगी। यह तिथि 1 अगस्त की देर रात 12 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी । उदया तिथि को देखते हुए सावन अधिक मास पूर्णिमा 1 अगस्त को है।
सावन अधिक मास पूर्णिमा स्नान-दान मुहूर्त
पूर्णिमा के दिन स्नान-दान के लिए ब्रह्म मुहूर्त सबसे उत्तम होता है। सावन अधिक मास पूर्णिमा के दिन स्नान-दान के लिए पहला मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 18 मिनट से प्रातः 5 बजे तक है। इसके बाद दूसरा मुहूर्त सुबह 09 बजकर 05 मिनट से दोपहर 02 बजकर 09 मिनट तक है।
सावन अधिक मास की पूर्णिमा पर चंद्रोदय का समय
अधिक मास की पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का उदय शाम 07 बजकर 16 मिनट पर होगा।
सावन अधिक मास की पूर्णिमा पर बन रहे खास योग
1 अगस्त को प्रात: काल से लेकर सुबह 06 बजकर 53 मिनट तक प्रीति योग है। फिर इसके बाद से आयुष्मान योग शुरू हो जाएगा, जो पूरे दिन रहेगा। वहीं इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 54 मिनट तक है।
पूर्णिमा का महत्व
पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली में चंद्र की स्थिति मजबूत होती है और चंद्र दोष दूर होता है। वहीं भगवान विष्णु की पूजा से जीवन में खुशियां आती हैं।
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