Indian News : काठमांडू | नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत के बजाय चीन की यात्रा करने के फैसले का बचाव किया है। उन्होंने इसे बेतुका बताया। ओली 2 से 6 दिसंबर तक की आधिकारिक यात्रा पर चीन जा रहे हैं। भारत के बजाय पहले चीन जाने के फैसले पर उनकी आलोचना हो रही है।
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नेपाल में यह परंपरा रही है कि जो नए प्रधानमंत्री बनते हैं, वह सबसे पहले भारत का दौरा करते हैं। इस परंपरा को तोड़ने के सवाल पर ओली ने कहा – “क्या कहीं लिखा है कि किसी खास देश का दौरा पहले करना चाहिए। क्या यह किसी धर्म ग्रंथ या फिर संविधान या फिर यूनाइटेड नेशन के चार्टर में लिखा है? नेपाल सभी पड़ोसियों के साथ बेहतर संबंध बनाए रखने के पक्ष में है। हमारी दुश्मनी किसी के साथ नहीं है।”
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ओली ने चीन की अपनी आगामी यात्रा की सफलता पर भी भरोसा जताया। उन्होंने कहा, “मैं अचानक यात्रा नहीं कर रहा, वापस लौटने के बाद मैं खुद इसकी रिपोर्ट दूंगा।” उन्होंने कहा कि वे कर्ज मांगने के लिए चीन नहीं जा रहे। वे नेपाल की प्रोडक्टिविटी बढ़ाना चाहते हैं। पिछले सप्ताह ओली ने भारत दौरे को लेकर कहा था कि- “मैं पहले चीन जा रहा हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि भारत के साथ हमारे अच्छे संबंध नहीं हैं। जब भारत ने (2015-16) में नाकेबंदी की थी तब हमने अलग रुख अपनाया था, इसलिए वे खुश नहीं थे, लेकिन अब नाखुश होने की कोई वजह नहीं है। “
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निमंत्रण नहीं मिला : ओली के करीबी सलाहकारों ने पिछले महीने काठमांडू पोस्ट से बताया था कि उन्हें उम्मीद थी कि भारत पहले की तरह नेपाल के नए प्रधानमंत्री को न्योता भेजेगा, लेकिन पद संभालने के चार महीने बीत जाने के बाद भी भारत से कोई औपचारिक निमंत्रण नहीं मिला। आमतौर पर नेपाल के प्रधानमंत्री को पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद ही नई दिल्ली से निमंत्रण मिलता है।
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