Indian News : राजस्थान में इसी साल के आखिरी में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से गहमागहमी तेज हो गई है. इस बीच कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने एक बार फिर विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होने वाले सीएम अशोक गहलोत के खेमे के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठा दी है अनुशासन और पार्टी के रुख का अनुपालन सभी के लिए समान है, व्यक्ति बड़ा हो या छोटा.” साथ ही उन्होंने कहा कि अनुशासनात्मक समिति तत्कालीन पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के खिलाफ खुली अवहेलना के संबंध में निर्णय में विलंब का सबसे अच्छा जवाब दे सकते हैं |

सचिन पायलट ने कहा, “जयपुर में मुख्यमंत्री (अशोक गहलोत) ने 25 सितंबर (पिछले साल) को विधायक दल की बैठक बुलाई थी, वह बैठक नहीं हुई. केंद्रीय पर्यवेक्षक अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे थे. बैठक में जो कुछ भी होता वह एक अलग मुद्दा है, सहमति या असहमति, लेकिन बैठक नहीं होने दी गई.” 

‘मल्लिकार्जुन खरगे जवाब देंगे’

सचिन पायलट ने कहा कि मुझे के जरिए जानकारी मिली कि गहलोत के समर्थकों ने नोटिस पर जवाब दे दिया, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. मुझे लगता है कि इसका सही जवाब अनुशासनात्मक कमेटी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ही दे सकेंगे. बैठक नहीं होने के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने जांच के लिए कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी ने कई नेताओं को अनुशासन तोड़ने का दोषी पाया था. हालांकि इसको लेकर कोई एक्शन नहीं हुआ. 

पीएम मोदी को लेकर कही ये बात

पायलट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आक्रामक तरीके से प्रचार कर रहे हैं. राजस्थान पर फैसला जल्द किया जाना चाहिए ताकि चुनाव के लिए कांग्रेस को तैयार किया जा सके. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में दो रैलियां की है. 

दरअसल, बीते साल कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के समय राजस्थान कांग्रेस की कलह एक बार फिर खुलकर सामने आ गई थी. अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की चर्चा के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर सियासत गरमा गई थी. नेतृत्व परिवर्तन को लेकर जयपुर में विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी. जिसके लिए कांग्रेस आलाकमान ने अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे को जयपुर भेजा था. 

गहलोत समर्थक विधायकों ने की थी बगावत

इसी बीच गहलोत समर्थक विधायकों ने बगावत कर दी थी. गहलोत समर्थक विधायक मुख्यमंत्री के तौर पर सचिन पायलट के नाम पर राजी नहीं थे. इस बगावत के बाद ये बैठक नहीं हो पाई थी. कांग्रेस ने इस घटनाक्रम को लेकर प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक एवं पीएचईडी मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर को उस समय नोटिस जारी किए थे. 

अशोक गहलोत-सचिन पायलट में हुई थी बयानबाजी

इस घटनाक्रम के बाद अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच बयानबाजी भी हुई थी. अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को गद्दार करार देते हुए कहा था कि उन्होंने पार्टी के साथ गद्दारी की थी इसलिए उन्हें कभी मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता. इस पर सचिन पायलट ने भी पलटवार करते हुए अशोक गहलोत को इस तरह के बचकाने बयान न देने की नसीहत दी थी. 

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