Indian News : भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धाराएं अपराध (Offence) और उनकी सजा (Punishment) को परिभाषित करती है. साथ ही कई पदों की शक्तियों के बारे में जानकारी भी देती हैं. ऐसे ही आईपीसी (IPC) की धारा 93 (Section 93) में सद्भावपूर्वक दी गई संसूचना (Communication made in good faith) को परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 93 इस बारे में क्या कहती है?

आईपीसी की धारा 93 (Indian Penal Code Section 93)

भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 93 (Section 93) में सद्भावपूर्वक दी गई संसूचना (Communication made in good faith) की परिभाषा (Definition) दी गई है. IPC की धारा 93 के मुताबिक सद्भावपूर्वक (Good faith) दी गई संसूचना उस अपहानि के कारण (Because of harm) अपराध नहीं है, जो उस व्यक्ति की हो जिसे वह दी गई है, यदि वह उस व्यक्ति केफायदे (Benefits of person) के लिए दी गई हो.




क्या होती है आईपीसी (IPC)

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

अंग्रेजों ने लागू की थी IPC

ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 मे अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं

You cannot copy content of this page