Indian News : पहली बार सूरज के निचले हिस्से यानी दक्षिणी ध्रुव की तस्वीर आई है. इस तस्वीर में स्पष्ट तौर पर सौर लहरें निकलती दिख रही हैं. कोरोना यानी उसकी सतह पर होता विस्फोट दिख रहा है. यह तस्वीर ली है यूरोपियन स्पेस एजेंसी के सोलर ऑर्बिटर ने. इस तस्वीर के मिलने के पीछे की कहानी बेहद रोचक है .

आमतौर पर जब भी किसी ग्रह या तारे की स्टडी के लिए किसी अंतरिक्षयान को भेजा जाता है, तब वह उस ग्रह के इक्वेटर यानी भूमध्यरेखा के इर्दगिर्द ही चक्कर लगाता है. जिसकी वजह से उस ग्रह के ध्रुवों की तस्वीर नहीं मिल पाती. इसके पीछे एक वजह शुक्र ग्रह की गुरुत्वाकर्षण शक्ति भी होती है.

लेकिन ESA के वैज्ञानिकों ने शुक्र ग्रह के खिंचाव से बचने के लिए अपने सोलर ऑर्बिटर के झुकाव को थोड़ा ज्यादा कर दिया. अब सोलर ऑर्बिटर का झुकाव सूरज की इक्वेटर लाइन से 4.4 डिग्री ज्यादा है. जिसकी वजह से वह नीचे की तरफ की तस्वीर लेने में सफल हो पाया. अब इस ऑर्बिटर का शुक्र ग्रह के बगल से अगला चक्कर सितंबर में लगेगा .




सूरज के ठीक नीचे से सोलर ऑर्बिटर को पहुंचने में अभी कुछ साल और लगेंगे. अभी जो तस्वीर जारी की गई है, उसे सोलर ऑर्बिटर ने 26 मार्च 2022 को लिया था. लेकिन उसके प्रोसेसिंग और स्टडी में दो महीने का समय लग गया. इस तस्वीर की स्टडी के दौरान वैज्ञानिकों ने सूरज की मैग्नेटिक फील्ड की स्टडी की. साथ ही सोलर साइकिल यानी सौर चक्र के बारे में जानकारी जमा की.

सौर चक्र 11 साल का होता है. यानी 11 साल सूरज मद्धम पड़ा रहता है. उसमें किसी तरह के विस्फोट नहीं होते. इसे सोलर मिनिमम (Solar Minimum) कहते हैं. साल 2019 तक यह इसी स्थिति में था. उसके बाद से यह सोलर मैक्सिमम (Solar Maximum) में आ गया. यानी अभी सूरज में लगातार विस्फोट हो रहे हैं. सौर लहरें निकल रही हैं. सौर तूफान धरती की तरफ आ रहे हैं .

ESA का सोलर ऑर्बिटर फरवरी 2025 में शुक्र ग्रह का चौथा चक्कर लगाएगा. तब इसके ऑर्बिट को 17 डिग्री और बढ़ाया जाएगा. दिसंबर 2026 में इसे बढ़ाकर 24 डिग्री किया जाएगा. तब सूरज के ध्रुवीय इलाकों की सही तस्वीर मिल पाएगी. ESA के सोलर ऑर्बिटर के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट डैनियल म्यूलर ने कहा कि हमें जो तस्वीर मिली है, उससे हम काफी ज्यादा उत्साहित है. हमें बहुत ढेर सारा डेटा मिला है. जिसकी अब भी प्रोसेसिंग की जा रही है.

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