Indian News इस दौरान रथ यात्रा में मौजूद हजारों-लाखों लोगों की भीड़ ने भगवान जगन्नाथ से उनके अनन्य भक्त सालबेग की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की, उसके बाद ही रथ नगर भ्रमण के लिए आगे बढ़ा। तब से यह परंपरा आज तक चली आ रही है। हर साल जब भी पुरी में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा के साथ नगर भ्रमण पर निकलते हैं तो सालबेग की मजार के सामने उनका रथ थोड़ी देर के लिए जरूर रोका जाता है।
18 साल के लिए बंद हो जाएगा जगन्नाथ मंदिर
True Story Of Jagannath बता दें कि मंदिर के गुंबद पर लगा ध्वज परिवर्तन रोज किया जाता है। यह रोजाना शाम को किया जाता है। यह ध्वजा समंदर की तरफ से आनेवाली हवाओं से लहराता रहता है। ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन के लिए भी झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 साल के लिए बंद हो जाएगा। यह 20 फीट का ट्रायएंगुलर ध्वज होता है जो हर रोज बदला जाता है। इसे बदलने का जिम्मा चोला परिवार पर है वह इसे 800 साल से करती चली आ रही है। जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर जो ध्वज लगा है वो काफी दूर से नजर आता है। मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है। इस चक्र को किसी भी दिशा से खड़े होकर देखने पर ऐसा लगता है कि चक्र का मुंह आपकी ओर है।
हवा से उल्टी दिशा में लहराता है ध्वज
पुरानी कथाओं की मानें तो जगन्नाथ मंदिर की ध्वजा उल्टी लहराने का सीधा संबंध हनुमान जी से है। बताया जाता है कि भगवान विष्णु को समुद्र की लहरों के तेज आवाज की वजह से सोने में दिक्कत हो रही थी। इस बात की जानकारी जब हनुमान जी को लगी तो उन्होंने समुद्र देवता से हवा दिशा उल्टी करने का निवेदन किया। लेकिन समुद्र देवता ने असमर्थता जताते हुए कहा कि ये मेरे बस में नहीं है, इसके लिए आपको अपने पिता पवन देव से निवेदन करना होगा। यह ध्वनि उतनी ही दूर तक जाएगी जितनी हवा की गति जाएगी। समुद्र देव से निवेदन के लिए हनुमान जी पवन देव के पास पहुंचे और आह्वान किया कि हवा मंदिर की दिशा में न बहे। पवनदेव ने कहा कि यह संभव नहीं है और इसके लिए उन्होंने हनुमान जी को एक उपाय बताया
रायपुर: True Story Of Jagannath देशभर में आज जगन्नाथ रथ यात्रा का पर्व धूम धाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर देशभर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की रथ यात्रा निकाली जा रही है। साथ ही देश के कई राज्यों में धूमधाम से रथ यात्रा निकाली जा रही है। रथ यात्रा के अवसर पर पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर से भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है, जिसके लिए कई महीने पहले से तैयारी शुरू हो जाती है। वहीं, अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल जगन्नाथ रथ यत्रा में शामिल होने के लिए करीब 25 लाख श्रद्धालु पुरी पहुंचेंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान जगन्नाथ की यात्रा पुरी के मजार के सामने जाकर खुद ब खुद रूक जाती है। नहीं पता था आपको से रहस्य? तो चलिए आपको बताते हैं क्यों मजार के सामने जाकर थम जाते हैं रथ के पहिए?
True Story Of Jagannath मिली जानकारी के अनुसार भगवान का रथ नगर भ्रमण के लिए निकलता है तो उसके पहिए शहर के एक मजार के सामने आकर रुक जाते हैं। इसके पीछे भी एक कहानी बेहद प्रचलित है। बताया जाता है कि सालबेग नाम का एक मुस्लिम शख्स भगवान जगन्नाथ का अनन्य भक्त था। कहा जाता है कि एक दिन भगवान जगन्नाथ ने सालबेग नाम को दर्शन दिए, जिसके बाद उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए थे। इस घटना के बाद जब जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा निकाली जा रही थी तभी नगर भ्रमण के दौरान रथ का पहिया अचानक मजार के सामने आकर रुक गया।