Indian News : उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में 11 दिन से फंसे 41 मजदूरों के जल्द बाहर निकलने की उम्मीद नजर आ रही है । टनल के एंट्री पॉइंट से अमेरिकी ऑगर मशीन करीब 40 मीटर तक ड्रिलिंग कर चुकी है । अब लगभग 25-30 मीटर की ड्रिलिंग बाकी है । आज शाम या कल तक पूरा होने की उम्मीद है ।
रेस्क्यू ऑपरेशन को मिली सफलता को देखते हुए सिलक्यारा में 40 एंबुलेंस मंगवाई हैं । इनमें अतिरिक्त ऑक्सिजन सिलेंडर रखे जाएंगे । घटनास्थल पर जनरल फिजिशियन, फार्मासिस्ट, मनोचिकित्सक भी मौजूद हैं ।
रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने की स्थिति में जिला अस्पताल चिल्यानीसोड, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उत्तरकाशी और ऋषिकेश एम्स को अलर्ट मोड पर रखा गया है । किसी की तबीयत ज्यादा खराब हुई तो उसे एयरलिफ्ट कर ऋषिकेश एम्स पहुंचाया जाएगा ।
मजदूरों को निकालने के लिए NDRF का रेस्क्यू प्लान भी तैयार है । सिलक्यारा एंड से टनल पूरी बनने पर NDRF टीम रेंगते हुए अंदर जाएगी और एक स्केट्स वाली ट्रॉली से मजदूरों को बाहर खींचा जाएगा । किसी को घबराहट न हो इसके लिए टनल में लाइट भी लगाई जाएगी ।
आपको बता दे कि, अभी वर्टिकल ड्रिलिंग के अलावा तीन अहम प्लान पर काम किया जा रहा है…
पहला प्लान : सबसे तेज ऑप्शन ऑगर मशीन का है । रुकावट नहीं आई तो दो-ढाई दिन में सुरंग बन जाएगी । इसमें मलबा आने का खतरा है । इसलिए दूसरी ओर से ड्रिलिंग की मशीनें बुलाई गई हैं । अगर ऑगर के रास्ते में हार्ड रॉक और स्टील आए तो उनको काटने का भी इंतजाम है।
दूसरा प्लान : दूसरा सबसे तेज ऑप्शन सिलक्यारा टनल को दोनों साइड से खोदकर रास्ता बनाने का है। इसमें 12-15 दिन लग सकते हैं।
तीसरा प्लान : सबसे लंबा तरीका डंडालगांव से टनल खोदना है। इसमें 35-40 दिन लग सकते हैं ।
टनल में फंसे 41 मजदूरों के नाम :
आइये जानते है कि 18 नवंबर से लेकर 21 नवंबर तक क्या -क्या हुआ ?
21 नवंबर : एंडोस्कोपी के जरिए कैमरा अंदर भेजा गया और फंसे हुए मजदूरों की तस्वीर पहली बार सामने आई । उनसे बात भी की गई । सभी मजदूर ठीक हैं । मजदूरों तक 6 इंच की नई पाइपलाइन के जरिए खाना पहुंचाने में सफलता मिली । ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू हुई । केंद्र सरकार की ओर से 3 रेस्क्यू प्लान बताए गए । पहला- ऑगर मशीन के सामने रुकावट नहीं आई तो रेस्क्यू में 2 से 3 दिन लगेंगे । दूसरा- टनल की साइड से खुदाई करके मजदूरों को निकालने में 10-15 दिन लगेंगे। तीसरा- डंडालगांव से टनल खोदने में 35-40 दिन लगेंगे ।
20 नवंबर : इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट आर्नल्ड डिक्स ने उत्तरकाशी पहुंचकर सर्वे किया और वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए 2 स्पॉट फाइनल किए । मजदूरों को खाना देने के लिए 6 इंच की नई पाइपलाइन डालने में सफलता मिली । ऑगर मशीन के साथ काम कर रहे मजदूरों के रेस्क्यू के लिए रेस्क्यू टनल बनाई गई । BRO ने सिलक्यारा के पास वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए सड़क बनाने का काम पूरा किया ।
19 नवंबर : सुबह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उत्तराखंड CM पुष्कर धामी उत्तरकाशी पहुंचे, रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया और फंसे लोगों के परिजनों को आश्वासन दिया । शाम चार बजे सिलक्यारा एंड से ड्रिलिंग दोबारा शुरू हुई । खाना पहुंचाने के लिए एक और टनल बनाने की शुरुआत हुई । टनल में जहां से मलबा गिरा है, वहां से छोटा रोबोट भेजकर खाना भेजने या रेस्क्यू टनल बनाने का प्लान बना ।
18 नवंबर : दिनभर ड्रिलिंग का काम रुका रहा । खाने की कमी से फंसे मजदूरों ने कमजोरी की शिकायत की । PMO के सलाहकार भास्कर खुल्बे और डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल उत्तरकाशी पहुंचे । पांच जगहों से ड्रिलिंग की योजना बनी ।
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