Indian News : क्या सच में कैलासा कोई देश है? अगर है तो कहां बसा है कैलासा ? यह सारी बातें तब से चर्चा में हैं जब से विवादास्पद संत नित्यानंद ने कैलासा के प्रतिनिधियों को पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक में हिस्सा लेने भेजा। रेप और अपहरण का आरोपी नित्यानंद 2019 में भारत से फरार हो गया और फिर एक साल बाद लोगों के सामने आया। उसका दावा था कि उसने खुद का एक देश बना लिया है, जिसका नाम है यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा (यूएसके)। हालांकि हकीकत में यह देश कहां है, किसी को नहीं पता। वहीं, नित्यानंद के फॉलोवर्स सोशल मीडिया पर मौजूद हैं और अपने देश में हो रहे विकास कार्यों की तस्वीर पोस्ट करते रहते हैं।

आखिर कहां है कैलासा नित्यानंद के बारे में बताया जाता है कि उसने इक्वाडोर के तट पर एक आइलैंड खरीदा है। के मुताबिक इसी आइलैंड के बारे में नित्यानंद दावा करता है कि यह उसका देश कैलासा है। हालांकि इक्वाडोर की सरकार को बताया था कि उस वक्त नित्यानंद वहां मौजूद नहीं था। दिलचस्प बात यह है कि इस देश की तस्वीरें आज तक कहीं देखने को नहीं मिली हैं। इसके विपरीत सोशल मीडिया पर इसके प्रतिनिधि कैलासा के बारे में लगातार कुछ न कुछ लिखते रहते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, वह अपने देश के बारे में दुनिया भर के डिप्लोमेट्स से चर्चा करते हुए फोटो और वीडियो भी डालते रहते हैं। इस कपोलकल्पित देश की एक वेबसाइट पर भी है, जिस पर कैलासा को एक आंदोलन बताया गया है। इसके मुताबिक इसकी नींव कनाडा और अमेरिका की हिंदू आदि शैव समुदाय ने रखी थी। इसे सभी हिंदुओं, चाहे वह किसी भी जाति, श्रेणी, वर्ग या जेंडर के हों, उनके लिए एक सुरक्षित स्थान बताया गया है। इसमें यह भी दावा किया गया है कि यह लोग यहां पर शांतिपूर्वक रह सकते हैं और अपनी आध्यात्मिकता, कला और संस्कृति को निर्भय होकर प्रस्तुत और प्रदर्शित कर सकते हैं।

कैसे मिलती है नागरिकता ?
अब सवाल उठता है कि आखिर कैलासा की नागरिकता कैसे मिलती है। गुरुवार को यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा ने ई-नागरिकता के लिए लोगों से अप्लीकेशन मांगा। इसमें उसने दावा किया है कि उसके पास झंडा, संविधान, इकॉनमिक सिस्टम, पासपोर्ट और राष्ट्रीय प्रतीक भी है। कैलासा की वेबसाइट के मुताबिक इसके पास हर दूसरे देश की तरह ट्रेजरी, वाणिज्य, संप्रभु, आवास, मानव सेवा जैसे विभिन्न विभाग भी हैं। कैलासा का दावा है कि वह अंतरराष्ट्रीय हिंदू प्रवासियों के लिए घर और शरणस्थली है।

क्या कैलासा की देश के रूप में पहचान है?

यही वह सवाल है, जिससे नित्यानंद अभी भी जूझ रहा है। वह और उसके भक्त अपने कल्पना वाले देश के बारे में और विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों से मीटिंग की तस्वीरें पोस्ट करते रहते हैं। लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ ने अभी भी कैलासा को पहचान नहीं दी है। 1933 के मोंटेवीडियो कन्वेंशन के अनुसार, किसी क्षेत्र को देश कहे जाने के लिए जरूरी है कि उसके पास एक स्थायी आबादी, एक सरकार और अन्य देशों के साथ संबंध रखने की क्षमता होनी चाहिए। नित्यानंद ने इसी कोशिश के तहत कैलासा के प्रतिनिधि को यूनाइटेड नेशंस भेजा था। हालांकि यूएन ने विजयप्रिया नित्यानंद द्वारा पेश सभी चीजों को खारिज कर दिया। गौरतलब है कि यूएन से पहचान मिलने के बाद ही किसी देश को वर्ल्ड बैंक और अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष समेत विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय समुदायों से मदद मिलती है।

अगर किसी क्षेत्र को देश का दर्जा नहीं हासिल हुआ है तो उसको माइक्रोनेशन कहा जाता है। इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका के मुताबिक माइक्रोनेशन, वह स्वघोषित संस्थाएं हैं जो स्वतंत्र संप्रभु राज्य होने का दावा करती हैं। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय या संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं हैं। इंडिपेंटेंड के मुताबिक साल 2019 में दुनियाभर में कुल 80 माइक्रोनेशंस थे। इसमें इसी तरह के एक अन्य शहर रजनीशपुरम का उदाहरण दिया गया है, जिसे भारतीय आध्यात्म गुरु रजनीश ने साल 1980 में ओरेगांव में स्थापित किया था। रजनीशपुरम में खुद की पुलिस, फायर डिपार्टमेंट और पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम था।

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