Indian News : रायपुर । राज्य के गौठानों में गोबर से विद्युत उत्पादन प्रोजेक्ट लगाने के लिए अब तक 5 युवा उद्यमियों ने एमओयू किया है। उद्यमियों द्वारा गौठानों में इसके लिए 10-10 करोड़ रूपए का निवेश प्रस्तावित है। विद्युत उत्पादन के लिए गौठानों में क्रय किए जाने वाले गोबर का उपयोग उद्यमियों द्वारा प्राथमिकता से किया जाएगा। इसके बाद निजी क्षेत्र की डेयरी फार्म के गोबर एवं शहर में एकत्र होने वाले वेस्टेज का भी उपयोग विद्युत उत्पादन के लिए किया जा सकेगा। कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता मे नवा रायपुर स्थित महानदी मंत्रालय भवन में आयोजित गोधन न्याय मिशन की प्रथम बैठक में दी गई। मंत्री रविन्द्र चौबे ने बैठक में गोधन न्याय मिशन के उद्देश्यों की पूर्ति के साथ-साथ गौठानों में आयमूलक गतिविधियों को तेजी से विस्तार देने के निर्देश अधिकारियों को दिए। बैठक में वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, कृषि उत्पादन आयुक्त कमलप्रीत सिंह, गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक डॉ. एस. भारतीदासन, संचालक कृषि यशवंत कुमार, संचालक उद्यानिकी माथेश्वरी व्ही. सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गौठानों में आयमूलक गतिविधियों के विस्तार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा है। उन्होंने कहा कि गौठानों को ग्रामीणों के आजीविका के केन्द्र के रूप में विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट सहित अन्य उत्पादों के मार्केटिंग एवं विक्रय की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। किसान गौठानों से सीधे वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट खाद का उठाव कर सके, इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को आवश्यक नियम निर्देश तैयार करने की भी बात कही।
मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा ने कहा कि गौठानों के रूरल इंडस्ट्रियल पार्क से इच्छुक युवा उद्यमियों को जोड़ा जाना चाहिए, ताकि ग्रामीण उद्योग को बढ़ावा मिले और युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा सके। उन्होंने उपयुक्त गौठानों का चयन कर वहां युवा उद्यमियों को उद्योग स्थापना के लिए भूमि उपलब्ध कराए जाने की बात कही।
बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने गोधन न्याय मिशन के तहत पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव, लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक को सदस्य के रूप में शामिल करने की बात कही। उन्होंने कहा कि गोधन न्याय मिशन के तहत राज्य स्तर पर यह स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित किया जाना चाहिए कि किस सामग्री का कितना प्रोडक्शन गौठानों के माध्यम से किया जाना है, ताकि मार्केटिंग एवं विक्रय का प्रबंध किया जा सके।
बैठक के प्रारंभ में गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक डॉ. एस. भारतीदासन ने गोधन न्याय मिशन के उद्देश्य और प्रशासनिक व्यवस्था के बारे में विस्तार से जानकारी दी और कहा कि मिशन के काम को गति देने के लिए 11.56 करोड़ रूपए का वार्षिक बजट प्रस्तावित किया गया है। उन्होंने बताया कि मिशन के काम-काज की मॉनिटरिंग एवं क्रियान्वयन के लिए कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मछली पालन, ग्रामोद्योग सहित अन्य विभागों से अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी जाएगी। मार्केटिंग, डाटा मैनेजमेंट सहित अन्य कार्यो के लिए नियमानुसार अधिकारियों-कर्मचारियों पूर्ति की जाएगी। उन्होंने बताया कि राज्य में अब तक 10,591 गौठान से स्वीकृत किए गए हैं। जिसमें से 8,048 गौठान निर्मित एवं संचालित हैं। गौठानों में गोबर विक्रय हेतु 2.87 लाख ग्रामीण पशुपालक पंजीकृत हैं, जिसमें से 2.04 लाख गोबर विक्रय कर लाभान्वित हो रहें हैं। गौठानों में 62.60 लाख क्विंटल गोबर क्रय के एवज में 125.22 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है। 2549 गौठान स्वावलंबी हो गये हैं। गौठानों से 11,477 महिला समूह जुड़े हैं। महिला समूहों को अब तक 51.53 लाख रूपए की आय विविध गतिविधियों से हुई है। गौठान समितियों को 46.44 करोड़ रूपए का भुगतान तथा स्व-सहायता समूहों को 30.34 करोड़ रूपए की लाभांश राशि का भुगतान किया गया है। गौठानों में 868 प्रसंस्करण इकाई स्थापित की जा चुकी है। गौठानों में 15.30 लाख क्विंटल कम्पोस्ट का उत्पादन तथा 9.41 लाख क्विंटल का विक्रय किया गया है।
बैठक में जानकारी दी गई कि गौठानों की गतिविधियों की मॉनिटरिंग के लिए जी-मैप-एप्प तैयार किया गया है। 4043 गौठानों मल्टीएक्टिविटी संचालित है, जिसके अंतर्गत कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र सहित प्रसंस्कृत उत्पाद, यूटीलिटी प्रोडक्ट्स, हस्तशिल्प, विशिष्ट एवं अन्य उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। बैठक में कार्बन क्रेडिट परियोजना, पैरादान एवं चारा उत्पादन के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई। बैठक में बताया गया कि ग्रामीण औद्योगिक पार्क की स्थापना के निर्देश सभी जिलों को दिए गए हैं। गौठानों में 152 तेल मिल, 173 दाल मिल, 105 ऑटा मिल, 973 मिनी राईस मिल तथा 144 अन्य मिलों सहित कुल 1547 इकाईयों की स्थापना की कार्ययोजना पर अमल शुरू कर दिया गया है। अब तक 868 प्रसंस्करण इकाईयां स्थापित की जा चुकी हैं