Indian News : नई दिल्ली | मोदी सरकार ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया है. विधेयक के जरिए लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलने का प्रावधान है. वहीं एक बार फिर महिला आरक्षण बिल पर सरकार और विपक्ष में तीखी तकरार देखने को मिल रही है. पक्ष और विपक्ष में महिला आरक्षण बिल का श्रेय लेने की होड़ मची है.

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कांग्रेस महिला आरक्षण बिल को सोनिया गांधी की पुरानी सोच बता रही है और बीजेपी पर गुमराह करने का आरोप लगा रही है. वहीं बीजेपी महिला आरक्षण बिल को मोदी सरकार की एक और कामयाबी बता रही है. महिला आरक्षण बिल को ऐतिहासिक कदमा बताया है. जाहिर है कि महिला आरक्षण बिल पर पहले भी कई बार रोड़े लगे है लेकिन इस बार बीजेपी इसे लागू कराने की पुरजोर कोशिश में है.

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उस समय लोकसभा स्पीकर सहित सरकार के कई मंत्री डिजिटल भारत की बात कहते हुए यह कहते नजर आए कि यह अपलोड हो गया है और सांसद इसे अपनी सीट के आगे लगे टैब में देख सकते हैं, पढ़ सकते हैं. इस विवाद पर सफाई देते हुए लोकसभा सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि 2020 से सुस्थापित प्रथा को ध्यान में रखते हुए, संविधान (128वां संशोधन) विधेयक (नारी शक्ति वंदन विधेयक 2023) की डिजिटल कॉपी सदस्यों के पोर्टल पर पहले ही अपलोड कर दी गई थी.

नई तकनीक बनाम पुराने दौर का मुद्दा नए संसद भवन में उस समय जोर-शोर से उठा, जब केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण से जुड़ा बिल पेश करना शुरू किया और विपक्षी दल एजेंडा में नहीं होने और बिल की कॉपी नहीं मिलने का मुद्दा उठाकर हंगामा करने लगे.

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