Indian News : कांग्रेस को प्रशांत किशोर से कितनी उम्मीद रखनी चाहिए? पिछले साल अक्टूबर में चुनावी रणनीतिकार ने गोवा में कहा था, ‘जब तक आप उनकी (भाजपा और नरेंद्र मोदी की) ताकत को समझेंगे नहीं, मानेंगे नहीं, तब तक आप उन्हें काउंटर नहीं कर सकते, कभी पराजित नहीं कर सकते।’ PK का कहना था कि राहुल गांधी के साथ समस्या यह है कि उन्हें इस बात का अहसास नहीं है, लेकिन उन्हें लगता है कि लोग भाजपा को उखाड़ फेंकेंगे। छह महीने बाद, प्रशांत किशोर 2024 के चुनाव में कांग्रेस को 400 सीटें जिताने की रणनीति समझा आए हैं।
सोनिया गांधी के घर, 10 जनपथ पर रविवार को बैठक में पीके के अलावा राहुल, प्रियंका, वेणुगोपाल, अंबिका सोनी और खड़गे शामिल थे। पीके ने कांग्रेस को मीडिया रणनीति में बदलाव करने, संगठन को मजबूत करने और उन राज्यों पर ज्यादा ध्यान देने को कहा, जहां बीजेपी से सीधा मुकाबला है। बीते कुछ सालों में राज्य दर राज्य सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस महज दो साल में आम चुनाव को जीतने का सपना देख रही है, पर ऐसा होगा कैसे?
प्लान तो है पर एक्जीक्यूट कैसे कराएंगे PK?
कांग्रेस को प्रशांत किशोर से कितनी उम्मीद रखनी चाहिए? पिछले साल अक्टूबर में चुनावी रणनीतिकार ने गोवा में कहा था, ‘जब तक आप उनकी (भाजपा और नरेंद्र मोदी की) ताकत को समझेंगे नहीं, मानेंगे नहीं, तब तक आप उन्हें काउंटर नहीं कर सकते, कभी पराजित नहीं कर सकते।’ PK का कहना था कि राहुल गांधी के साथ समस्या यह है कि उन्हें इस बात का अहसास नहीं है, लेकिन उन्हें लगता है कि लोग भाजपा को उखाड़ फेंकेंगे। छह महीने बाद, प्रशांत किशोर 2024 के चुनाव में कांग्रेस को 400 सीटें जिताने की रणनीति समझा आए हैं।
सोनिया गांधी के घर, 10 जनपथ पर रविवार को बैठक में पीके के अलावा राहुल, प्रियंका, वेणुगोपाल, अंबिका सोनी और खड़गे शामिल थे। पीके ने कांग्रेस को मीडिया रणनीति में बदलाव करने, संगठन को मजबूत करने और उन राज्यों पर ज्यादा ध्यान देने को कहा, जहां बीजेपी से सीधा मुकाबला है। बीते कुछ सालों में राज्य दर राज्य सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस महज दो साल में आम चुनाव को जीतने का सपना देख रही है, पर ऐसा होगा कैसे?
प्लान तो है पर एक्जीक्यूट कैसे कराएंगे PK?
कांग्रेस की समस्याओं की लिस्ट में सबसे ऊपर से शुरू करते हैं। कांग्रेस के पास राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद से पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं है। सोनिया गांधी ही अंतरिम अध्यक्ष बनकर पार्टी चला रही हैं। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठकों में बार-बार राहुल और प्रियंका से भी अध्यक्ष बनने को कहा गया, मगर दोनों ने मना कर दिया। किसी गैर-गांधी को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव आते ही वफादार हत्थे से उखड़ जाते हैं। ऐसे में जब तक गांधी परिवार खुद से कोई फैसला नहीं करता, अध्यक्ष पर पसोपेश बना ही रहेगा। पार्टी को यह डर भी है कि कि गांधी परिवार का नेतृत्व नहीं रहेगा तो पार्टी एकजुट बनी रहेगी या नहीं। गांधी परिवार कांग्रेस के लिए ‘लाइबेलिटी और असेट्स’ (बोझ और पूंजी) दोनों हैं।
पार्टी में आंतरिक कलह भी चरम पर है। G-23 गुट रह-रहकर कांग्रेस नेतृत्व के लिए असहज स्थितियां पैदा करता है। ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस)’ के शोध कार्यक्रम ‘लोकनीति’ के सह-निदेशक संजय कुमार कहते हैं कि पार्टी में असंतुष्ट लोगों का एक ऐसा धड़ा बन गया है जो नेतृत्व पर सवाल कर रहा है। नेताओं को एक-दूसरे पर भरोसा नहीं है।
पार्टी से नेताओं का पलायन रोकने की चुनौती
पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा नेता किसी पार्टी ने खोए हैं तो वह है कांग्रेस। पार्टी ने एक-एक करके कई युवा और वरिष्ठ चेहरों को खोया। राहुल गांधी की कोर टीम भी बिखर चुकी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह… कुछ ऐसे ही नाम हैं जिन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया।
पिछले कुछ सालों में कांग्रेस छोड़ने वाले प्रमुख नेता
- अमरिंदर सिंह
- जितिन प्रसाद
- लुईजिन्हो फलेरो
- सुष्मिता देव
- नारायण राणे
- ज्योतिरादित्य सिंधिया
- हिमंता बिस्व सरमा
- अजय माकन
- एन बीरेन सिंह
- पेमा खांडू
- पीसी चाको
- रवि नाइक
- शंकर सिंह वाघेला
- हरक सिंह रावत
- रीता बहुगुणा जोशी
- टॉम वडक्कन
- जयंती नटराजन
- आरपीएन सिंह
- अदिति सिंह
- इमरान मसूद