Indian News : यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि हर धर्म, जाति, संप्रदाय, वर्ग के लिए पूरे देश में एक ही नियम. दूसरे शब्‍दों में कहें तो समान नागरिक संहिता का मतलब है कि पूरे देश के लिए एक समान कानून के साथ ही सभी धार्मिक समुदायों के लिए विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने के नियम एक ही होंगे. संविधान के अनुच्छेद-44 में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की बात कही गई है.

उत्तराखंड विधानसभा में UCC यानी समान नागरिक संहिता बिल पेश हो गया है. कानून बनने के बाद उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य हो जाएगा. यूसीसी के विधेयक को सदन के पटल पर रख दिया गया है. अब दो बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होगी और यूसीसी पर सदन में चर्चा शुरू होगी.

क्या है संवैधानिक वैधता?





यूनिफॉर्म सिविल कोड संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आती है. इसमें कहा गया है कि राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे. इसी अनुच्छेद के तहत इस यूनिफॉर्म सिविल कोड को देश में लागू करने की मांग की जा रही है. इसके पीछे जनसंख्या की को बिगड़ने से रोकना और जनसांख्यिकी को नियंत्रित करने की तर्क दी जाती है.

आइये जानते है मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :


समान नागरिक संहिता पर ड्राफ्ट कमेटी की रिपोर्ट कुल 780 पन्नों की है. इसमें क़रीब 2 लाख 33 हज़ार लोगों ने अपने विचार दिए हैं. इसे तैयार करने वाली कमेटी ने कुल 72 बैठकें की थीं. ख़बरों के मुताबिक, UCC के ड्राफ्ट में 400 से ज़्यादा धाराएं हैं.

UCC विधेयक महिला अधिकारों पर केंद्रित है. इसमें बहु-विवाह पर रोक का प्रावधान है. लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाने का प्रावधान है.


समान नागरिक संहिता बिल में लिव-इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन को ज़रूरी कर दिया गया है. कानूनी विशेषज्ञों का दावा है कि ऐसे रिश्तों के पंजीकरण से पुरुषों और महिलाओं दोनों को फायदा होगा.

बिल में लड़कियों को भी लड़कों के बराबर ही विरासत का अधिकार देने का प्रस्ताव है. अभी तक कई धर्मों के पर्सनल लॉ में लड़कों और लड़कियों समान विरासत का अधिकार नहीं है.लड़कों और लड़कियों समान विरासत का अधिकार नहीं है.

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उत्तराखंड की 4% जनजातियों को कानून से बाहर रखने का प्रावधान किया गया है. मसौदे में जनसंख्या नियंत्रण उपायों और अनुसूचित जनजातियों को शामिल नहीं किया गया है.


बिल में शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी करने का प्रस्ताव रखा गया है. साथ ही शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर सरकारी सुविधाएं नहीं देने का प्रस्ताव भी रखा गया है.


बिल के में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया आसान करने का प्रस्ताव रखा गया है. मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार देने का प्रस्ताव बिल में है.

मुस्लिम समुदाय के भीतर हलाला और इद्दत पर रोक लगाने का प्रस्ताव बिल में रखा गया है. इस प्रथा का काफी विरोध होता रहा है.


पति की मृत्यु पर पत्नी ने दोबारा शादी की, तो मुआवज़े में माता- पिता का भी हक़ होने का प्रस्ताव भी बिल में रखा गया है. पत्नी की मृत्यु होने पर उसके मां-बाप की ज़िम्मेदारी पति पर होगी. पति-पत्नी के बीच विवाद हुआ, तो बच्चों की कस्टडी दादा-दादी को देने का प्रस्ताव भी यूसीसी विधेयक में रखा गया है.

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