Indian news : रायपुर | छत्तीसगढ़ के जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप ने नई दिल्ली में आयोजित 8वें भारत जल सप्ताह में भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने किया। मंत्री कश्यप ने अपने संबोधन में छत्तीसगढ़ के जल संरक्षण और प्रबंधन में किए गए प्रयासों को साझा किया और जल संसाधन के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय अनुभव प्राप्त करने की बात की।
जल प्रबंधन पर अंतर्राष्ट्रीय अनुभव : मंत्री कश्यप ने कहा कि जल संरक्षण, संवर्धन, और पुनर्भरण के मुद्दे भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। कार्यशाला में भाग लेते हुए उन्होंने जल के महत्व और भारतीय सभ्यता में इसके स्थान की चर्चा की। उन्होंने बताया कि बढ़ती जनसंख्या के कारण जलाशयों की स्थिति खराब हो रही है और स्थानीय नदियां विलुप्त हो रही हैं, जो चिंताजनक है।
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छत्तीसगढ़ का जल संरक्षण इतिहास : कश्यप ने छत्तीसगढ़ में जल प्रबंधन का समृद्ध इतिहास साझा किया। उन्होंने बताया कि जांजगीर-चांपा जिले में प्राचीन समय में तालाबों का निर्माण किया गया था, और बीसवीं शताब्दी में विशेष रूप से धान उत्पादक क्षेत्रों में जलाशयों और नहरों का निर्माण किया गया। इन प्रयासों ने राज्य की सिंचाई क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वर्तमान सिंचाई परियोजनाओं की स्थिति : मंत्री कश्यप ने राज्य में सिंचाई की वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है जहां 80 प्रतिशत से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है। वर्तमान में, राज्य में 21.57 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता का निर्माण किया जा चुका है और भविष्य में जल के समुचित उपयोग के लिए नई परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
भविष्य की योजनाएं और परियोजनाएं : कश्यप ने कहा कि राज्य सरकार जल उपयोग दक्षता को बढ़ाने और नवीनतम सिंचाई तकनीकों को अपनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने नदी जोड़ो अभियान, इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना, और अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाओं का उल्लेख किया जो भविष्य में राज्य की जल समस्याओं को हल करने में सहायक होंगी।
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