Indian News : बिहार | लोक गायिका शारदा सिन्हा, जिन्हें छठ महापर्व की देवी माना जाता है, का बुधवार को पटना के गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। छठ गीतों के जरिए जन-जन के दिलों में अपनी जगह बनाने वाली शारदा सिन्हा के अंतिम संस्कार में सैकड़ों प्रशंसक और गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। उनके बेटे अंशुमान ने उन्हें मुखाग्नि दी और घाट पर ‘शारदा सिन्हा अमर रहें’ और ‘छठी मईया’ के जयकारे गूंजते रहे।

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छठ गीतों से मिली विशेष पहचान

शारदा सिन्हा का नाम छठ महापर्व के साथ जुड़ा हुआ था। उनकी आवाज में गाए गए छठ गीत पर्व की परंपरा और भक्ति को सजीव कर देते थे। ‘दुखवा मिटाई छठी मईया’ जैसे गीतों ने उन्हें घर-घर तक पहुंचाया और हर छठ पर्व का अभिन्न हिस्सा बना दिया। इस बार पर्व के पहले दिन ही उन्होंने दिल्ली एम्स से अपना अंतिम छठ गीत रिलीज किया था, जो उनके लाखों प्रशंसकों के लिए उनकी अंतिम स्मृति बन गया।




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अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़

शारदा सिन्हा की अंतिम यात्रा सुबह 9 बजे पटना के राजेंद्र नगर स्थित उनके आवास से निकली। उनके बेटे अंशुमान ने उनकी अर्थी को कंधा दिया, जिसमें भाजपा के पूर्व सांसद रामकृपाल यादव और विधायक संजीव चौरसिया भी शामिल हुए। उनके अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में प्रशंसकों का तांता लगा रहा, जो उन्हें आखिरी बार श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे थे।

गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ विदाई

पटना के गुलबी घाट पर शारदा सिन्हा को राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी गई। छठ महापर्व के तीसरे दिन ‘छठी माई की महिमा गाने वाली’ इस महान गायिका की विदाई के साथ ही घाट पर छठ के गीत और जयकारों की गूंज उठी। शारदा सिन्हा की स्मृति में उनकी प्रसिद्ध छठ गीतों को बजाया गया, जिसने वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम कर दीं।

राजनीतिक और सांस्कृतिक हस्तियों की उपस्थिति

शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि देने के लिए कई राजनीतिक और सांस्कृतिक हस्तियां उपस्थित रहीं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा गुरुवार शाम उनके राजेंद्र नगर स्थित घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। उनके जाने से संगीत और संस्कृति जगत में एक अपूरणीय क्षति हुई है, जिसे उनके प्रशंसक लंबे समय तक महसूस करेंगे।

छठ महापर्व और शारदा सिन्हा का अटूट संबंध

छठ गीतों की धरोहर को जन-जन तक पहुंचाने वाली शारदा सिन्हा का योगदान अविस्मरणीय है। उनके गाए गीत हर छठ में सुनाए जाएंगे और उनकी स्मृति सदैव लोगों के दिलों में जीवित रहेगी। उनका अंतिम गीत ‘दुखवा मिटाई छठी मईया’ अब उनके चाहने वालों के लिए उनकी अंतिम आवाज बन गया है, जो छठ महापर्व में सदैव गूंजती रहेगी।

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