Indian News : नईदिल्ली | आम चुनाव की तरह राष्ट्रपति चुनाव में लोगों की रुचि नहीं रहती है। अब तक देश को 15 राष्ट्रपति मिल चुके हैं। चुनाव आयोग ने 16वें राष्ट्रपति के लिए चुनाव का ऐलान कर दिया है। गुरुवार को चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव के तारीख का ऐलान कर दिया है। 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होंगे और 21 जुलाई को देश को नए राष्ट्रपति मिल जाएंगे. 29 जून नामांकन की आखिरी तारीख होगी। खास बात यह है कि राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास में आज तक केवल एक बार ही निर्विरोध राष्ट्रपति चुने गए। इसके अलावा देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भी चुनाव लड़ना पड़ा था। उनके खिलाफ भी उम्मीदवार मैदान में थे।
जब पहली बार हुआ था राष्ट्रपति चुनाव 1952 में जब पहला राष्ट्रपति चुनाव हुआ तो डॉ राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ चार उम्मीदवार थे। इसमें राजेंद्र प्रसाद को 5,07,400 वोट मिले थे। हरि राम चौधरी केवल इसलिए चुनाव लड़ गए थे क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि प्रसाद निर्विरोध चुने जाएं। उन्हें केवल 1954 वोट ही हासिल हो सके थे। लेफ्ट ने केटी शाह को मैदान में उतारा था जिन्हें 92 हजार वोट के आसपास मिला था। इसके अलावा थाट्टे लक्ष्मण गणेश और कृष्ण कुमार चैटर्जी भी चुनाव लड़े थे।
सबसे विवादित रहा यह राष्ट्रपति चुनाव 1969 का राष्ट्रपति चुनाव सबसे ज्यादा विवादित रहा। मई 1969 में जाकिर हुसैन को देश का तीसरा राष्ट्रपति चुना गया था। उनके अचानक निधन के बाद संविधान के अनुच्छेद 65 (1) उस वक्त उपराष्ट्रपति रहे वीवी गिरि ने कार्यकारी राष्ट्रपति के रूप में पद संभाला। जुलाई 1969 में गिरि ने भी दोनों पदों से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद जब चुनाव का नंबर आया तब कांग्रेस पार्टी में ही वर्चस्व को लेकर लड़ाई शुरू हो गई। उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पार्टी के ऑफिशल कैंडिडेट नीलम संजीव रेड्डी का विरोध किया। गांधी ने गिरि का सपोर्ट किया जो कि निर्दलीय उम्मीदवार थे। इस चुनाव में गिरि की जीत हुई और संजीव रेड्डी हार गए। इसके बाद इंदिरा गांधी को भी पार्टी से बाहर कर दिया गया था।
जब 37 उम्मीदवारों ने भरा नामांकन, एक को छोड़ सबके नामांकन रद्द 1977 में राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के निधन के बाद उपराष्ट्रपति बीडी जट्टी ने कार्यकारी राष्ट्रपति का पदभार संभाला। अब राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव जरूरी हो गया था। 6 महीने के अंदर चुनाव कराए जाने थे। इस बार 37 उम्मीदवारों ने नामांकन भरा था लेकिन स्क्रूटनी में एक नाम छोड़कर सबका नामांकन रद्द हो गया। कांग्रेस के नीलम संजीव रेड्डी का ही नामांकन स्वीकार किया गया और वह निर्विरोध देश के छठे राष्ट्रपति बने।