Indian News : महाराष्ट्र में मचे राजनीतिक घमासान के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) द्वारा सरकारी आवास खाली किए जाने की खबर है। खुद उद्धव ने बुधवार को फेसबुक लाइव में इस बात की घोषणा की थी अगर उनकी पार्टी का एक एक भी विधायक उनके खिलाफ है तो वे सीएम पद से इस्तीफा देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा था कि वे मुख्यमंत्री का सरकारी आवास ‘वर्षा’ भी खाली करने को तैयार हैं।
अब खबर है कि उद्धव ने मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास खाली कर दिया है और वे अपने घर मातोश्री चले गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उद्धव मातोश्री से ही सीएम का कामकामज करेंगे। हालांकि उन्होंने अभी सीएम पद से इस्तीफा नहीं दिया है। कुछ तीस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि सीएम उद्धव का सामान वर्षा बंगले से मातोश्री ले जाया जा रहा है। महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे अपनी मां रश्मि ठाकरे और भाई तेजस ठाकरे के साथ मुंबई में अपने आधिकारिक आवास से निकलकर मातोश्री चले गए हैं।
इससे पहले ठाकरे ने बुधवार को एक वर्चुअल संबोधन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह करने वाले बागी विधायकों को सुलह का प्रस्ताव दिया। राज्य के राजनीतिक संकट को नया मोड़ देते हुए उन्होंने कहा कि यदि कोई शिवसैनिक उनकी जगह लेता है तो उन्हें खुशी होगी।
शिवसेना के बागी नेता और मंत्री एकनाथ शिंदे के विद्रोह के कारण सरकार पर आए संकट पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को कहा कि अगर बागी विधायक यह घोषणा करते हैं कि वह उन्हें (ठाकरे) मुख्यमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहते तो वह अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हैं।
ठाकरे ने कहा, “सूरत और अन्य जगहों से बयान क्यों दे रहे हैं? मेरे सामने आकर मुझसे कह दें कि मैं मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष के पदों को संभालने में सक्षम नहीं हूं। मैं तत्काल इस्तीफा दे दूंगा। मैं अपना इस्तीफा तैयार रखूंगा और आप आकर उसे राजभवन ले जा सकते हैं।” उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद पर किसी शिवसैनिक को अपना उत्तराधिकारी देखकर उन्हें खुशी होगी।
ठाकरे ने नवंबर 2019 की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के सुझाव पर अपनी अनुभवहीनता के बावजूद मुख्यमंत्री का पद संभाला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राकांपा के कई दशकों तक शिवसेना के राजनीतिक विरोधी होने के बावजूद महा गठबंधन अस्तित्व में आया।