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मुंबई । शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा उन्हें और अन्य असंतुष्ट विधायकों को दी गई राहत को बाल ठाकरे के हिंदुत्व और उनके गुरु आनंद दिघे के आदर्शों की जीत करार दिया। उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस के खिलाफ शिवसेना के बागी विधायकों को राहत प्रदान करते हुए सोमवार को कहा कि संबंधित विधायकों की अयोग्यता पर 11 जुलाई तक फैसला नहीं लिया जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार की उस याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें विधानसभा में शक्ति परीक्षण नहीं कराए जाने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने कहा कि वे किसी भी अवैध कदम के खिलाफ उसका रुख कर सकते हैं। बागी विधायकों के साथ गुवाहाटी में डेरा डाले शिंदे ने ट्वीट किया, “यह हिंदू हृदयसम्राट बालासाहेब के हिंदुत्व और (दिवंगत) धर्मवीर आनंद दिघे के आदर्शों की जीत है।”




ठाणे में शिंदे के बेटे और पार्टी सांसद श्रीकांत शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल ने दबाव में उनके पिता और 15 अन्य बागी विधायकों को अयोग्यता का नोटिस भेजा था, जो उच्चतम न्यायालय के आदेश से स्पष्ट है। कल्याण के सांसद ने कहा, “विधानसभा अध्यक्ष का विधानसभा में अधिकार है। अगर कोई विधायिका में व्हिप के खिलाफ जाता है तो उनके पास शक्ति होती है। यह किसी भी बैठक में नहीं आने वाले किसी व्यक्ति पर लागू नहीं होता है। ‘तुगलकी फरमान’ (अयोग्यता नोटिस) दबाव में (उनके द्वारा) जारी किया गया था और अदालत ने आज यह दिखाया है।”

शिंदे और बड़ी संख्या में विधायकों ने 21 जून को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ बगावत की और वर्तमान में असम के गुवाहाटी में हैं। उनकी मुख्य मांग यह है कि शिवसेना महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन से हट जाए, जिसमें कांग्रेस और राकांपा भी शामिल हैं। महाराष्ट्र के शिवसेना विधायक और मंत्री एकनाथ शिंदे ने उपाध्यक्ष द्वारा उन्हें और अन्य बागी विधायकों को जारी अयोग्यता नोटिस के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया ।

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