Indian News : भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 6 (Section 6) के मुताबिक, इस धारा में सर्वत्र, अपराध की हर परिभाषा, हर दंड उपबंध के बारे में टिप्पणी की जाती है आजतक.इन’ पर हम लगातार भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC समेत देश के कानून (Law) पर आधारित जानकारियां आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. कानून व्यवस्था पर आधारित हमारी इस सीरीज में अब बात करेंगे आईपीसी की धारा 6 (Section 6) के बारे में और जानेंगे कि इस सेक्शन का क्या है काम और इसमें क्या प्रावधान (Provisions) है. 

क्या है आईपीसी (IPC) की धारा 6 (Section 6)

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 6 (Section 6) के मुताबिक, इस धारा में सर्वत्र, अपराध की हर परिभाषा, हर दंड उपबंध और हर ऐसी परिभाषा या दंड उपबंध का हर दृष्टांत, साधारण अपवाद शीर्षक वाले वाले अध्याय में अन्तर्विष्ट अपवादों के अध्यधीन समझा जाएगा, चाहे उन अपवादों को ऐसी परिभाषा, दंड उपबंध या दृष्टांत में दुहराया न गया हो.




सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने अधिवक्ता असगर खान बताते हैं कि सेक्शन 6 कहता है कि जनरल एक्सेप्शन (General extension) को मद्देनजर रखते हुए हम कानून में डेफिनेशन (Definition), प्रोविज़न (Provisions) तमाम जीज़ों को हम अंडरस्टैण्ड (understand) करेंगे, समझेंगे. ये जनरल एक्सेप्शन चैप्टर (Chapter) 4 में सेक्शन 76 से 106 तक एक्सप्लेन (Explain) किए गए हैं. 

क्या है भारतीय दंड संहिता (IPC)

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा और और दंड का प्रावधान करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

1 जनवरी 1862 में लागू हुई थी IPC

ब्रिटिश कालीन भारत के पहले कानून आयोग की सिफारिश पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय भारतीय दंड संहिता के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

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