Indian News : नई दिल्ली | वैसे तो विश्वकर्मा जयंती साल में दो बार मनाई जाती है. पहली विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर के दिन कन्या संक्रांति में मनाई जाती है, लेकिन राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में भगवान विश्वकर्मा का जन्म 7 फरवरी को मनाया जाता है. विश्वकर्मा पूजा को ही विश्वकर्मा जयंती और विश्वकर्मा दिवस के नाम से जाना जाता है. हिंदुओं के लिए यह दिन बहुत ही खास होता है क्योंकि इस दिन लोग अपने कारखानों और गाड़ियों की पूजा करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र के रूप में जन्म लिया था. भगवान विश्वकर्मा का जिक्र 12 आदित्यों और ऋग्वेद में होता है. इस बार विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर, शनिवार के दिन मनाई जाएगी.
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि उन्हें विश्व का पहला इंजीनियर माना गया है. मान्यता है कि हर साल अगर आप घर में रखे हुए लोहे और मशीनों की पूजा करते हैं तो वो जल्दी खराब नहीं होते हैं. साथ ही साथ कारोबार में विस्तार होता है. मशीनें अच्छी चलती हैं क्योंकि भगवान उन पर अपनी कृपा बनाकर रखते हैं.
पूजा विधि
विश्वकर्मा दिवस के दिन जल्दी स्नान करके, पूजा स्थल को साफ करें. फिर गंगा जल छिड़क कर पूजा स्थान को पवित्र करें. एक साफ़ चौकी लेकर उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं. पीले कपड़े पर लाल रंग के कुमकुम से स्वास्तिक चिह्न बनाएं. भगवान श्री गणेश का ध्यान करते हुए उन्हें प्रणाम करें. इसके बाद स्वास्तिक पर चावल और फूल अर्पित करें, फिर उस चौकी पर भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र लगाएं .
एक दीपक जलाकर चौकी पर रखें. फिर भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा जी के मस्तक पर तिलक लगाकर पूजा का शुभारम्भ करें. भगवान विश्वकर्मा और भगवान विष्णु को प्रणाम करते हुए उनका मन ही मन स्मरण करें. साथ ही यह प्रार्थना करें कि वह आपकी नौकरी-व्यापार में तरक्की के सभी मार्ग आपको दिखाएं. पूजा के दौरान भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों का जाप भी करें. फिर श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की आरती करने के बाद भगवान विश्वकर्मा की आरती करें. आरती के बाद उन्हें फल-मिठाई आदि का भोग लगाएं, इस भोग को सभी लोगों और कर्मचारियों में बांटें.