Indian News : नई दिल्ली : मध्य प्रदेश सरकार आगामी 8 मार्च को वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए वार्षिक बजट पेश करेगी.अगले साल चुनाव को देखते हुए इस बजट के लोकलुभावन होने की उम्मीद की जा रही है. बता दें कि आगामी बजट में सरकार जिस सेक्टर पर शायद सबसे ज्यादा फोकस करेगी, उनमें हेल्थ सेक्टर शामिल है. दरअसल कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट बढ़ाने की जरूत महसूस की गई और केंद्र सरकार भी चाहती है कि राज्य सरकार अपने कुल बजट का कम से कम 8 फीसदी स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च करें.
अर्थव्यवस्था को मिलेगी गति
दरअसल 15वें वित्त आयोग ने वित्तीय वर्ष 2022-26 के लिए अपनी रिपोर्ट में सलाह दी है कि राज्यों को अपना स्वास्थ्य बजट कुल बजट का 8 फीसदी करना चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य बजट में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सबसे ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है. राज्यों के स्वास्थ्य बजट का दो तिहाई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर खर्च करने की सलाह दी गई है.
रिपोर्ट में शहरों में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स, कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर्स और ब्लॉक स्तर पर पब्लिक हेल्थ यूनिट के साथ ही डायग्नोस्टिक सेंटर भी खोले जाने की सलाह दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हेल्थ सेक्टर पर खर्च को बढ़ाकर देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी.
एमपी सरकार अभी इतना करती है खर्च
बता दें कि अभी देश के 21 छोटे-बड़े राज्यों का औसतन स्वास्थ्य बजट कुल बजट का 5.26 फीसदी है. एमपी की बात करें तो यह राज्य के कुल बजट का 4.94 फीसदी है. वित्तीय वर्ष 2021 में राज्य सरकार ने हेल्थ सेक्टर के लिए 15622 करोड़ रुपए आवंटित किए थे. ऐसे में यदि राज्य सरकार स्वास्थ्य बजट बढ़ाने का फैसला करती है तो इससे आम जनता को बड़ा फायदा मिलेगा और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी मजबूत होगा.
राज्य सरकार की कोशिश है कि प्रदेश के सभी प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स में डॉक्टरों की नियुक्ति हो. दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में एमबीबीएस डॉक्टरों की नियुक्ति सरकार के लिए चुनौती है. ऐसे में सरकार असिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर के तौर पर आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी डॉक्टर्स की भी तैनाती पर विचार कर रही है.
जल्द होगी अहम बैठक
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की सेंट्रल काउंसिल की बैठक 21 से 23 अप्रैल के बीच गुजरात के केवड़िया में होगी.इस बैठक में राज्यों के साथ मिलकर यह रोडमैप तैयार किया जाएगा कि कैसे राज्यों के बजट में हेल्थ सेक्टर के खर्च को बढ़ाया जाए. कुछ अन्य राज्यों के स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च की बात करें तो मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, छत्तीसगढ़ अपने कुल बजट का 5.75 फीसदी, राजस्थान 6.48 फीसदी, बिहार 5.96 फीसदी, हिमाचल प्रदेश 5.92 फीसदी, पंजाब 2.77 फीसदी, महाराष्ट्र 3.93 फीसदी और गुजरात 5.06 फीसदी स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च कर रहा है.