Indian News : जब 20 साल का था तो मेरे बाल झड़ने लगे थे। इस उम्र में बाल झड़ने लगते हैं तो ऐसा लगता है कि अब हम बूढ़े हो गए हैं, अंकल टाइप के हो गए हैं। कॉन्फिडेंस कम होने लगता है। गंजेपन के नाम पर विज्ञापन भी इसी तरह के आते हैं।

मुझे सिर में या तो पूरे बाल पसंद हैं, नहीं तो गंजा। इसलिए पूरा क्लीन शेव रखता हूं। हालांकि, एक उम्र के बाद नहीं लगता है। कॉन्फिडेंस आ जाता है कि हां, बाल ही तो नहीं हैं। बाकी टेलेंट तो है ही। इसलिए मैं कहता हूं…

‘नमस्कार यूथों का वफादार… मैं राजा रबीश कुमार।’

अब इस डायलॉग और ऊपर की फोटो से तो आप बखूबी परिचित होंगे ही। तो हम बात पत्रकार रवीश कुमार की नहीं, ‘राजा रबीश कुमार’ यानी शिवांकित सिंह परिहार की कर रहे हैं। आपने सबसे पहले जो दो पैराग्राफ पढ़े, वो इनकी ही कहानी है। ‘राजा रबीश कुमार’ के बारे में जानने के लिए हमने शिवांकित से खास बातचीत की है।

शिवांकित परिहार ने अपना करियर TVF यानी The Viral Fever नाम के प्लेटफॉर्म से 2015 में शुरू किया था। हाल ही में उन्होंने एक्टर अभिषेक बच्चन की फिल्म दसवीं में काम किया है। शिवांकित ने गुल्लक वेब सीरीज में भी अपनी जानदार आवाज दी है।

सिर पर बाल न होने की वजह से शिवांकित को कई रोल नहीं मिले। अभी भी नहीं मिलते हैं। वो कहते हैं, बहुत सारे ऐसे रोल थे जो बाल न होने की वजह से नहीं मिले। विज्ञापन के लिए तो एक प्रॉपर लुक चाहिए। अब तो मैंने इसके लिए ऑडिशन ही देना छोड़ दिया है।

शिवांकित कहते हैं, बतौर एक्टर मुझे ऐड इंडस्ट्री सबसे खराब लगती है। उन्हें एक फिक्स स्टाइल चाहिए। उनके मुताबिक हम कैमरे पर स्माइल करें, एक्ट करें। यह मेरे लिए संभव नहीं है।

साल 2010-11 में शिवांकित मुंबई गए थे। अपने बाल झड़ने वाले दिनों के बारे में वो बताते हैं, उस वक्त तो टेक्नोलॉजी भी उतनी नहीं थी, लेकिन अब तो बाल उगाने की टेक्नोलॉजी भी आ गई है। कल चाहूं तो बाल आ जाएं।

शिवांकित कहते हैं, मुझे ऐसा लगता है कि जैसा हमें भगवान ने बनाया है, हम खुश रहें। शरीर के साथ छेड़छाड़ करके कुछ नहीं हो सकता। मैं तो कभी बाल को लेकर सर्जरी नहीं करवाऊंगा।

राजा रबीश कुमार के नाम से मशहूर एक्टर शिवांकित सिंह परिहार मध्य प्रदेश के सतना के रहने वाले हैं। वो कहते हैं, परिवार वालों ने कभी एक्टिंग या मेरे मनपसंद काम को करने से रोका नहीं। मैं पहले भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (FTII) पुणे में एडमिशन की तैयारी के लिए पुणे गया था। वहां थिएटर भी करता था, लेकिन जब एडमिशन नहीं हुआ तो मैं 2011 में मुंबई आ गया।

शिवांकित बताते हैं, जब पैसे नहीं होते थे तो घर वाले भेज देते थे। पापा-मम्मी ने कभी पूछा नहीं कि मैं अब तक एक्टर क्यों नहीं बना। पैसे जितने होते थे, उसी में काम चलाता था। सस्ता जीवन जीता था। अब थोड़े बदलाव आ गए हैं।

कई सालों तक बिना किसी काम के रूम पर बैठा रहा। मुंबई में ट्रैफिक ज्यादा होने की वजह से ऑडिशन देने के लिए नहीं जाता था, लेकिन मुझे लिखने का शौक पहले से था। रूम पर बैठे-बैठे कुछ अपनी स्क्रिप्ट लिखता था।

TVF को 10 साल हो चुके हैं। शिवांकित कहते हैं, मैं साढ़े 6 साल से TVF के साथ काम कर रहा हूं। आज जो कुछ भी हूं TVF की वजह से हूं। मैंने यहां बस फन के लिए जॉइन किया था। सोचा था कुछ काम करूंगा। एक्टिंग करूंगा। पता नहीं था, आज यहां पहुंच जाऊंगा।

शिवांकित कहते हैं, मुंबई में TVF का एक छोटा सा झोपड़ी टाइप का ऑफिस था। 10-15 लोग काम करते थे। मेहनत का परिणाम है कि आज 300 से 400 लोग काम कर रहे हैं।

TVF में ऑफर मिलने को लेकर वो कहते हैं, एक दोस्त की मदद से यहां पहुंचा। मुझे कुछ लिखने के लिए दिया गया, मैंने लिखा। क्रिएटिव डायरेक्टर को कंटेंट पसंद आ गए। यहीं से मेरी जर्नी शुरू हुई।

शिवांकित परिहार से ‘राजा रबीश कुमार’ बनने के बारे वो बताते हैं, मुंबई में जर्नलिज्म की पढ़ाई के वक्त जर्नलिस्ट रवीश कुमार की ‘रवीश की रिपोर्ट’ पसंद करता था। जब TVF आया तो ‘राजा रबीश कुमार’ का कंसेप्ट आया।

इसके बाद शिवांकित ने ‘रबीश की रिपोर्ट’ नाम से सटायर कंटेंट बनाने शुरू किए। वो कहते हैं, सिर्फ सटायर रहता तो लोग पसंद नहीं करते। इसलिए यंग जनरेशन की बातों को, फन के जरिए लाने की कोशिश की।

शिवांकित अभी TVF के ही कुछ फिल्म प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। बॉलीवुड इंडस्ट्री के मुंबई में होने पर भी बीते कुछ सालों से विवाद चलता रहा है। शिवांकित कहते हैं, बॉलीवुड एक हिंदी फिल्म इंडस्ट्री है। अधिकांश फिल्मों की शूटिंग UP, MP, राजस्थान जैसे हिंदी स्पीकिंग बेल्ट में होती है। इंडस्ट्री भी यहीं होनी चाहिए।

बदलते दौर के साथ अब मेनस्ट्रीम मीडियम से इतर OTT (Over The Top) का जमाना आ गया है। इससे गांव-कस्बों से निकले एक्टर को भी एक्टिंग का मौका मिल रहा है। शिवांकित कहते हैं, अब हम हिंदुस्तान की कहानी कह रहे हैं। ‘पंचायत’ वेब सीरीज यही है।

बॉलीवुड कॉमर्शियल फिल्मों को लेकर शायद उतना मेहनत नहीं करता होगा, इसलिए हम साउथ की फिल्मों जैसा नहीं कर पाते हैं। साउथ इंडस्ट्री एक शॉट के लिए 20 दिनों तक काम करती है, जबकि बॉलीवुड एक्टर शायद उतना वर्क नहीं करते हैं।

OTT के बढ़ते दायरे के बीच केंद्र सरकार सेंसरशिप को लेकर गाइडलाइन ला चुकी है। शिवांकित कहते हैं, कोई एक व्यक्ति यदि एडल्ट स्क्रिप्ट लिख रहा है तो कार्रवाई उस पर होनी चाहिए। रेगुलेशन की जरूरत नहीं है।

भारतीयों की आदत है कि गलती कोई एक करे तो सजा हम पूरे समाज को देते हैं। उदाहरण के लिए कहूं तो मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में यदि किसी एक ने पानी की बोतल फेंकी तो स्टेडियम के भीतर बोतल ले जाने पर ही पाबंदी लगा दी जाती है।

शिवांकित ‘राजा रबीश कुमार’ से लेकर अमिताभ बच्चन और CM योगी तक के कैरेक्टर को प्ले कर चुके हैं। कॉमेडियन पर हुईं कुछ कार्रवाई को लेकर वो कहते हैं, मैं कई रोल प्ले करता हूं। किसी एक कैरेक्टर को प्ले करना मेरे 100 कामों में से एक काम है। किसी को आपत्ति होती है तो मैं छोड़ देता हूं।

FTII के अलावा शिवांकित ने किसी और एक्टिंग संस्थान में जाना नहीं चाहा। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा को लेकर वो कहते हैं, साहित्य और नाट्य से हटकर मुझे फिल्म मेकिंग और मुंबई से लगाव था। शिवांकित दिल्ली को लेकर कहते हैं, मुझे ये शहर पसंद नहीं है। यहां पहनावे को लेकर बहुत ज्यादा रिस्ट्रिक्शंस हैं। लोग कपड़ों से जज करते हैं।

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