Indian News :  केंद्र सरकार (Central government) की ओर से तीनों सेनाओं में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना के विरोध के बीच रविवार को सेना की ओर से उम्मीदवारों को साफतौर पर चेतावनी देते हुए कहा गया है कि अगर उनके खिलाफ FIR दर्ज होती है तो वह ‘अग्निवीर’ (‘Agniveer’) नहीं बन सकेंगे। सेने ने कहा कि भर्ती में शामिल होने वाले हर उम्मीदवार को लिखित में यह बताना होगा कि वो अग्निपथ योजना के विरोध (Opposition to Agneepath scheme) के दौरान हिंसा और तोड़फोड़ करने वालों में शामिल नहीं थे।

मीडिया को संबोधित करते हुए सैन्य मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी (Additional Secretary Lt Gen Anil Puri) ने कहा कि उम्मीदवारों को एक लिखित प्रमाण पत्र देना होगा कि वे विरोध या तोड़फोड़ का हिस्सा नहीं थे। पुरी ने कहा कि भारतीय सेना की नींव में अनुशासन है। आगजनी या तोड़फोड़ के लिए कोई जगह नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को एक प्रमाण पत्र देना होगा कि वे विरोध या तोड़फोड़ का हिस्सा नहीं थे। पुलिस सत्यापन अनिवार्य है, इसके बिना कोई भी शामिल नहीं हो सकता है।

सेना बोली- अनुशासनहीनता के लिए कोई जगह नहीं




लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने आगे कहा अगर किसी उम्मीदवार के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज की जाती है तो वे सेना में शामिल नहीं हो सकते। सशस्त्र बलों में अनुशासनहीनता के लिए कोई जगह नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से मंगलवार को योजना के ऐलान के बाद बुधवार को बिहार में अग्निपथ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था।

गुरुवार को आंदोलन हिंसक हो गया

गुरुवार को आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया और विरोध बाकी राज्यों में भी फैल गया। शुक्रवार और शनिवार को भी हिंसा हुई, जिसमें बिहार सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ, जबकि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और तेलंगाना में भी आगजनी और तोड़फोड़ हुई। प्रदर्शनकारियों ने ज्यादातर ट्रेनों को निशाना बनाया। इसके अलावा सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया।

क्या है अग्निपथ योजना?

सरकार ने इस योजना की शुरुआत करते हुए मंगलवार को कहा था कि साढ़े सत्रह साल से 21 साल तक की आयु के युवाओं को चार साल के कार्यकाल के लिए शामिल किया जाएगा, जबकि उनमें से 25 प्रतिशत को बाद में नियमित सेवा में शामिल किया जाएगा। नई योजना के तहत भर्ती होने वाले युवाओं को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा। इस योजना का एक प्रमुख उद्देश्य सैन्यकर्मियों की औसत आयु को कम करना और बढ़ते वेतन एवं पेंशन बिल में कटौती करना है।

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