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पटना: Atiq Ahmed jindabad माफिया अतीक अहमद की हत्या के बाद सियासी गलियारों में बवाल मचा हुआ है। कई राजनीतिक दलों के नेता लगातार उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो कुछ लोग इसे सांप्रदायिक रंग देने में लगे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर इस घटना के बाद बिहार की राजधानी पटना सुलगने लगा है। दअरसल पटना में शुक्रवार को अतीक के समर्थन में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया। वहीं, इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मोदी—योगी मुर्दाबाद के नारे भी लगाए।
Atiq Ahmed jindabad मिली जानकारी के अनुसार ईद के पहले बिहार में बड़ा विवाद हो गया है। विवाद की जड़ में उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया पॉलीटिशियन अतीक अहमद हत्याकांड है। शुक्रवार को पटना जंक्शन के पास उस समय विचित्र स्थिति पैदा हो गई जब मुसलमान समुदाय के कुछ लोग अलविदा की नमाज के बाद सड़क पर उतर आए। स्टेशन स्थित जामा मस्जिद में नमाज पढ़ने के बाद ये लोग जुलूस की शक्ल में सड़क पर प्रदर्शन करने लगे। सभी अतीक अहमद के समर्थन में नारेबाजी करने लगे। प्रदर्शनकारियों ने अतीक, अशरफ और अतीक बेटे असद को शहीद बताते हुए अतीक अहमद अमर रहे के नारे लगाए। इसके साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भी नारेबाजी की गई। प्रदर्शनकारियों ने योगी-मोदी मुर्दाबाद के नारे लगाए।
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे रईस ग़ज़नवी नाम के शक्स ने कहा कि अतीक अहमद, अशरफ अहमद और असद अहमद को प्लान करके मारा गया। योगी सरकार ने योजनाबद्ध तरीके से अतीक, उसके भाई अशरफ और बेटे असद की हत्या कराई। इसमें पुलिस और मीडिया का भी हाथ है। ग़ज़नवी ने कहा कि रोजा के दिन उन्हें अपराधियों के जरिए सरकार और पुलिस ने मरवा दिया। इसलिए पूरी दुनिया के मुसलमानों में अतीक अहमद को शहीद का दर्जा दिया गया है। रईस जिहादी अंदाज में सड़क पर चिल्लाने लगा। कट्टर तरीके से हुंकार भरते हुए ग़ज़नवी ने कहा कि आज हमने दुआ किया है- या अल्लाह अतीक अहमद की शहादत को कबूल फरमा। अतीक अहमद, अशरफ अहमद और असद अहमद की शहादत को कबूल फरमा। उन तीनों को मरवाया गया है।
मीडियाकर्मियों की ओर से जब पूछा गया अतीक ने तो बड़े-बड़े अपराध किए हैं। इसपर ग़ज़नवी ने कहा कि गलत काम किया है उसे देखने के लिए कोर्ट है। कोर्ट ने पुलिस को रिमांड दिया था। दोनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी ली थी। अतीक अशरफ की हत्या के लिए कोर्ट भी जिम्मेदार है। कोर्ट अगर दोनों को फांसी की सजा भी सुना देती तो कोई गम नहीं होता लेकिन, जिस ढंग से दोनों को मारा गया वह कबूल नहीं है।