Indian News : वारंगल | तेलंगाना के वारंगल किले में बथुकम्मा उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। यह नौ दिवसीय फूलों का त्योहार तेलंगाना की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जिसमें महिलाएं रंग-बिरंगे फूलों से सजाकर देवी की पूजा करती हैं और पारंपरिक लोकगीत गाती हैं। वारंगल किले में इस उत्सव का आयोजन देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़े।

बथुकम्मा उत्सव की विशेषता : बथुकम्मा त्योहार तेलंगाना का प्रसिद्ध और विशेष त्योहार है, जो नौ दिनों तक चलता है। इस दौरान महिलाएं अलग-अलग प्रकार के फूलों को सजाकर बथुकम्मा तैयार करती हैं और इसे अपने सिर पर रखकर गीत गाती हैं। इस त्योहार की खास बात यह है कि इसका हर दिन अलग महत्व और पूजा विधि होती है, जो प्रकृति और देवी महालक्ष्मी की आराधना के लिए होती है।

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वारंगल किले में उत्सव का भव्य आयोजन : वारंगल का ऐतिहासिक किला इस साल बथुकम्मा उत्सव के भव्य आयोजन का केंद्र रहा। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजी-धजी नजर आईं और उन्होंने फूलों से सजी बथुकम्मा को किले के आंगन में रखा। इसके बाद भक्तों ने बथुकम्मा के चारों ओर घेरा बनाकर पारंपरिक तेलुगू गीत गाए और सामूहिक नृत्य किया। इस उत्सव के दौरान किले में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।

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स्थानीय लोगों और पर्यटकों की भागीदारी : बथुकम्मा उत्सव के इस आयोजन में स्थानीय लगों के साथ-साथ पर्यटकों ने भी हिस्सा लिया। वारंगल किला, जो तेलंगाना के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है, इस पर्व के दौरान रोशनी से जगमगा उठा। फूलों की सजावट और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने वहां का माहौल भक्तिमय और आकर्षक बना दिया।

तेलंगाना की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक : बथुकम्मा तेलंगाना की सांस्कृतिक धरोहर और प्रकृति प्रेम का प्रतीक है। इस पर्व के माध्यम से महिलाएं प्रकृति को धन्यवाद देती हैं और अपने परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं। वारंगल किले में आयोजित इस उत्सव ने तेलंगाना की इस धरोहर को जीवित रखा और युवा पीढ़ी को इससे जोड़ने का काम किया।

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