New Delhi : नई दिल्ली | प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए शासन जल्द ही नया नियम लागू करने वाला है। उस नियम का पालन नहीं करने पर आपको फ्यूल नहीं दिया जाएगा। जल्द ही एक वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाएगा। क्योंकि ईंधन खरीदने के लिए एक वैध पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट दिखाना पडे़गा।
जल्द ही एक वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाएगा। क्योंकि ग्राहकों को दिल्ली में ईंधन खरीदने के लिए एक वैध पीयूसीसी (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट) (PUCC) की जरूरत पड़ेगी। दिल्ली सरकार इस बारे में सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित करने के लिए नीति का मसौदा सार्वजनिक डोमेन में भी रखेगी।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के मुताबिक, इस नीति से दिल्ली में वाहन प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी। एक बयान में कहा गया है, “वाहन मालिकों को पेट्रोल पंप पर अपना पीयूसीसी ले जाना होगा। अगर पीयूसीसी अवैध पाया जाता है, तो इसे पंप पर फिर से जारी करना होगा।”
बयान में गोपाल राय के हवाले से कहा गया, “यह एक बहुत ही महत्वाकांक्षी नीति है। दिल्ली सहित उत्तर भारत गंभीर वायु प्रदूषण का सामना करता है, विशेष रूप से सर्दियों में। इस नीति के लागू होने से, वाहनों को ईंधन स्टेशन पर उनके साथ अपना पीयूसी प्रमाण पत्र रखना अनिवार्य होगा। इस तरह, राज्य में वाहनों के प्रदूषण स्तर को समय-समय पर कंट्रोल में रखा जाएगा।”
इसके अलावा, सरकार नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने और वाहन या पेट्रोल पंप मालिकों को कोई असुविधा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए कई टेक्नोलॉजी-आधारित उपायों को शुरू करने की भी योजना बना रही है। हालांकि इसके ब्योरे फिलहाल साझा नहीं किए गए हैं। उम्मीद है कि सरकार रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन सिस्टम जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल शुरू करेगी।
इलेक्ट्रिक कार
दिल्ली सरकार ने हाल ही में देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए मोटर व्हीकल एग्रीगेटर्स स्कीम, 2021 का मसौदा भी जारी किया है। इसी तरह, सरकार ने पहले भी दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन नीति पेश की थी, जिसका उद्देश्य 2024 तक कुल वाहन बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहन हिस्सेदारी को 25 प्रतिशत तक बढ़ाना है।
प्रदूषण जांच
यह नीति अगस्त 2020 में शुरू की गई थी, जबकि इसके कुछ समय बाद अक्तूबर में, राज्य सरकार ने पीयूसी प्रमाणपत्रों की जांच के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया। इस उद्देश्य के लिए पेट्रोल पंपों पर लगभग 500 टीमों को तैनात किया गया।