Indian news : केंद्र सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव को शीतकालीन सत्र में बिल के रूप में पेश किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 के वादे और स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से की गई स्पीच के आधार पर, इस योजना को लेकर बड़ी उम्मीदें जताई जा रही हैं कि यह देश की चुनावी प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाएगी।
प्रस्ताव की पृष्ठभूमि : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में वन नेशन वन इलेक्शन का वादा किया था, जिसे उन्होंने स्वतंत्रता दिवस की स्पीच में भी दोहराया था। उनका मानना है कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। इस प्रस्ताव पर विचार करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी, जिसने 14 मार्च को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी।
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रिपोर्ट के प्रमुख सुझाव : कोविंद पैनल की रिपोर्ट 18,626 पन्नों की है और इसमें कई महत्वपूर्ण सुझाव शामिल हैं। रिपोर्ट में सभी राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को 2029 तक बढ़ाने की सिफारिश की गई है। इसके अलावा, हंग असेंबली या नो कॉन्फिडेंस मोशन की स्थिति में पांच साल के कार्यकाल के लिए नए चुनाव कराए जा सकते हैं।
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चुनाव प्रक्रिया की योजना : रिपोर्ट के अनुसार, पहले फेज में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। इसके बाद, दूसरे फेज में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने की योजना है। चुनाव आयोग सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आई कार्ड तैयार करेगा, जिसमें राज्य चुनाव अधिकारियों से परामर्श लिया जाएगा।
सुरक्षा और संसाधन प्रबंधन : कोविंद पैनल ने चुनावों के आयोजन के लिए आवश्यक उपकरण, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश की है। इस प्रस्ताव के जरिए चुनावी प्रक्रियाओं को समन्वित और प्रभावी बनाने की कोशिश की जाएगी, जिससे चुनावी लागत में कमी और प्रबंधन में सुधार हो सके।
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