Indian News : हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्‍चा (Kids) हर क्षेत्र में आगे रहे और हर गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्‍सा ले. शोधों में पाया गया कि जो बच्‍चे आत्‍मविश्‍वास (Self-Confident) से भरे होते हैं वे स्‍कूल में बेहतर परफॉर्मेंस करते हैं और लोगों के साथ हेल्‍दी रिलेशनशिप भी बना पाते हैं. उन पर घबराहट और चिंता हावी नहीं हो पाती और सही तरीके से वे निर्णय लेने में सक्षम होते हैं. सीएनबीसी के मुताबिक, मनोवैज्ञानिकों ने माना है कि बच्‍चों के कॉन्फिडेंस पर उनके माता-पिता के बिहेव का काफी असर पड़ता है. अगर माता-पिता सही स्‍ट्रेटेजी के साथ बच्‍चों की परवरिश करें तो इससे बच्‍चे खुद पर भरोसा करना सीखते हैं और उनका परफॉर्मेंस खुद ब खुद अच्‍छा हो जाता है. लेकिन कई पेरेंट्स की पर‍वरिश का तरीका कुछ ऐसा होता है जिससे बच्‍चे खुद पर भरोसा करना छोड़ देते हैं और हर वक्‍त डरे सहमें रहते हैं. तो आइए बताते हैं कि पेरेंट्स की किन ग‍लतियों (Parenting Mistakes) की वजह से बच्‍चों का आत्‍मविश्‍वास कम हो जाता है.

रिस्‍पॉसिबिलिटी से दूर रखना

कई माता-पिता बच्‍चों को घर के किसी भी काम में इनवॉल्‍व नहीं कराते. जिस वजह से उन्‍हें हर वक्‍त दूसरों पर निर्भर रहने की आदत हो जाती है. ऐसे में घर के काम मसलन, कपड़े समेटना, घर सजाना, डस्टिंग, गमलों में पानी आदि देने में उनकी मदद लें.

गलती करने से रोकना

बच्‍चे गलतियों से ही सबसे अधिक सीखते हैं. ऐसे में कई पेरेंट्स उन्‍हें काम नहीं करने देते कि वे गलती करेंगे और काम खराब हो जाएगा. लेकिन ऐसा करने से बच्‍चे एक्‍सपेरियेंस नहीं कर पाते और उनका कॉन्फिडेंस नहीं बढ़ता.

खुद के इमोशन से प्रोटेक्‍ट करना

अगर बच्‍चा रोता है या गुस्‍सा करता है तो पेरेंट्स उसे शां‍त कराते हैं. आप अपने बच्‍चे की भावनाओं पर कैसा रिऐक्‍ट करते हैं इसका उनके विकास पर काफी असर करता है. इसलिए बच्‍चों को प्‍यार से सिखाएं और उन्‍हें समझने केलिए मोटिवेट करें कि आखिर उनके इमोशन को क्‍या ट्रिगर करता है और उससे वे कैसे उबरें.

बच्‍चों को विक्टिम ना महसूस कराएं

कई पेरेंट्स बच्‍चों को सिखाते हैं कि वे महंगी किताबें या जूते नहीं खरीद सकते क्‍योंकि हम उनसे गरीब हैं. लेकिन आपको बता दें कि ऐसा बताने से बच्‍चों को ये महसूस होता है कि लाइफ में हर चीज हमारे कंट्रोल में नहीं है और उनका कॉन्फिडेंस कम हो जाता है. वे खुद को विक्टिम जैसा महसूस करते हैं.

दूसरों से तुलना करना

कई माता-पिता की यह आदत होती है कि वे अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों के साथ करते हैं. इसकी वजह से वह अपने आपको उन सब बच्चों से कम समझने लगता है. ऐसे में उसका आत्मविश्वास काफी पीछे हो जाता है. वह उनसे आगे नहीं बढ़ पाता है. फिर अंत में बच्चा यह स्वीकार कर लेता है कि वह उन बच्चों से बेहतर नहीं है.

बच्चे का मजाक उड़ाना

कभी भी बच्‍चों का मजाक नहीं बनाना चाहिए. बच्‍चे इमोशनल होते हैं और माता-पिता की बात का असर कहीं ना कहीं उन पर करता ही है. इसलिए खासतौर पर माता पिता हमेशा बच्‍चों को मोटिवेट करें.

बच्चों को पीटना

कई बार पैरेंट्स बच्चों को समझाने की बजाय मारने लगते हैं. जिससे बच्चा हमेशा डरा-डरा रहता है. यही नहीं, अगर उससे गलती होती है तो वह आपको बताने से डरता है. ऐसे में कई लोग उसे ब्‍लैक मेल करने लगते हैं. इसलिए आप अपने बच्चे को डरा कर ना रखें.

You cannot copy content of this page