Indian News : कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा को दिल्ली बुलाया गया है। जानकारी है कि गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी से उनकी मुलाकात होगी। संभव है उनसे इस्तीफा ले लिया जाए या वे इस्तीफा दे दें ! अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से बिहार में आयोजित होने वाली गांधी संदेश यात्रा को भी स्थगित कर दिया गया है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से जारी कार्यक्रम के अनुसार 17 अप्रैल से गांधी संदेश यात्रा की शुरूआत बिहार में चंपारण से होनी थी। बिहार में यह यात्रा 2 सप्ताह तक की जानी थी। यात्रा को बिना वजह स्थगित करने के बाद कांग्रेसी नेताओं के बीच तरह-तरह की चर्चा हो रही है। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में कांग्रेस की ओर से पूरे देश में गांधी संदेश यात्रा का आयोजन 17 अप्रैल से किया जाना था, इसमें गुजरात के साबरमती और बिहार में महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण से यात्रा शुरू होनी थी, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा को अचानक दिल्ली बुला लिया गया है।
प्रक्रिया के तहत नया अध्यक्ष बनाया जाएगा
जानकारी है कि प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा का कार्यकाल पूरा हो चुका है। ऐसे में नया अध्यक्ष का बनना तय है, लेकिन एक प्रक्रिया के तहत ही नया अध्यक्ष बनाया जाएगा। बिहार में पार्टी अभी सदस्यता अभियान चला रही है। कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने भास्कर से बातचीत में कहा कि प्रदेश अध्यक्ष का टर्म पूरा हो चुका है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी तय करेंगे कि अगला अध्यक्ष कौन होगा, लेकिन इसकी एक प्रक्रिया होगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी सभी नेताओं से विमर्श कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष के पद पर जो भी नेता आएंगे, उन पर सबकी सहमति होगी। शर्मा कहते हैं कि गांधी संदेश यात्रा और व्यापक तरीके से करने की योजना बन रही है। इसलिए फिलहाल स्थगित की गई है।
गठबंधन टूटने का नुकसान राजद और कांग्रेस दोनों को
बता दें कि बिहार में 24 सीटों पर हुए एमएलसी चुनाव में राजद और कांग्रेस का गठबंधन टूट गया। कांग्रेस ने लगभग आधा दर्जन सीटों पर राजद को नुकसान पहुंचाया है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस सिर्फ एक सीट पर जीत पाई है। कांग्रेस के एक समर्थित उम्मीदवार की भी जीत हुई है। 24 सीटों पर हुए एमएलसी चुनाव से पहले 2 सीटों पर हुए उपचुनाव में भी कांग्रेस और राजद का गठबंधन नहीं हुआ था। अभी बोचहां में एक सीट पर उपचुनाव हुआ है, उसमें भी राजद और कांग्रेस का गठबंधन नहीं हुआ। कांग्रेस आलाकमान ने अब तक राजद और कांग्रेस के गठबंधन पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हाल के दिन में प्रियंका गांधी की प्रतिक्रिया लालू प्रसाद के पक्ष में आई थी।
पार्टी में सवर्ण का दबदबा
कांग्रेस के संगठन में सोशल इंजीनियरिंग की खासी कमी दिख रही है। कांग्रेस के अंदर डॉ. शकील अहमद खान जैसे वरिष्ठ नेता और मंजीत आनंद साहु जैसे युवा नेता भी सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की मांग उठाते रहे हैं। डॉ. शकील अमहद खान ने तो इसको लेकर लंबा पत्र राहुल गांधी को लिखा है। कांग्रेस में नया प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं भी हो रही हैं। क्या एक बार फिर से कांग्रेस किसी सवर्ण को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी या फिर किसी पिछड़ी जाति यह दलित वर्ग को मौका मिलेगा, इसका इंतजार कार्यकर्ताओं को है।
कांग्रेस की सोशल इंजीनियरिंग पर गौर करें तो जिलाध्यक्षों में 25 जिलाध्यक्ष सवर्ण हैं, अतिपिछड़ा 2, जबकि वैश्य एक भी नहीं है। पार्टी में अध्यक्ष पद सवर्ण के पास है। चार कार्यकारी प्रदेश अध्यक्षों में से दो सवर्ण, एक दलित और एक मुस्लिम हैं। विधायक दल के नेता सवर्ण हैं। कांग्रेस कंपेनिंग कमेटी के चेयरमैन भी सवर्ण हैं। यानी प्रदेश स्तर के सात शीर्ष पदों में पांच सवर्ण के पास हैं, जिनमें तीन भूमिहार, एक राजपूत और एक ब्राह्मण हैं। पांच वर्षों में तीन बार विधान परिषद व राज्यसभा भेजने का मौका पार्टी को मिला तो पार्टी ने दो सवर्ण को उच्च सदन भेजा। राज्य सभा एक सवर्ण को भेजा। विधान सभा चुनाव 2000 में 70 सीटों पर पार्टी ने चुनाव लड़ा और उसमें 15 रिजर्व थीं। शेष 55 सीटों में से 33 सीटों पर सवर्ण को उतारा था।