Indian News :  छत्तीसगढ़ में आज सभी जिला मुख्यालयों पर संविदा कर्मचारी हड़ताल करेंगे। छत्तीसगढ़ सरकार के विभिन्न विभागों के संविदा कर्मचारी शुक्रवार को सभी 28 जिला मुख्यालयों पर एक दिन की हड़ताल करेंगे। ये संविदा कर्मचारी सेवा नियमित करने की मांग कर रहे हैं। संविदा कर्मचारियों ने सरकार पर सौतेला व्यवहार का करने आरोप भी लगाया है।

सरकार पर सौतेला व्यवहार का आरोप

छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने कहा कि कांग्रेस सरकार के सौतेले व्यवहार के विरोध में 22 अगस्त से राज्य सरकार के 54 विभागों के 30,000 से ज्यादा संविदा कर्मचारी तिरंगे से हाथ बांधकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमें (संविदा कर्मचारियों) नियमित करने का वादा किया था, लेकिन अभी तक वादा पूरा नहीं किया गया है।




28 जिलों में निकलेंगे तिरंगा मार्च

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारी तिवारी ने कहा कि शुक्रवार को सभी संविदा कर्मचारी एक दिन की हड़ताल करेंगे और 28 जिला मुख्यालयों में ‘तिरंगा मार्च’ निकालेंगे। सत्तारूढ़ दल ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था लेकिन वह ऐसा करने में विफल रही है। 

स्थानीय प्रशासन और जन प्रतिनिधियों को सौंपेंगे ज्ञापन

उन्होंने कहा कि शुक्रवार को संविदा कर्मचारी अपने-अपने क्षेत्र के स्थानीय प्रशासन, विधायकों और सांसदों को अपनी मांगों की जानकारी देते हुए ज्ञापन सौंपेंगे। तिवारी ने कहा कि मांगे पूरी न होने पर वे अनिश्चितकालीन हड़ताल का सहारा भी ले सकते हैं।

पहले से ही अनिश्चितकालीन हड़ताल पर 4.50 लाख नियमित कर्मचारी

संयोगवश सरकारी विभागों के लगभग 4.50 लाख नियमित कर्मचारी पहले ही 22 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं, जो सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार 34 फीसदी महंगाई भत्ता (डीए) और मकान किराया भत्ता (एचआरए) की मांग कर रहे हैं। हड़ताल सोमवार से प्रदेशभर में शुरू है। हालांकि कर्मचारी संघ का लिपिक वर्ग इस हड़ताल से पीछे हट गया है। फिर भी 90 विभागों के 4 लाख से ज्यादा कर्मचारी आज से हड़ताल कर रहें हैं। इस दौरान सरकारी दफ्तरों में लगभग सारे कामकाज ठप है।

कौशलेश तिवारी ने कहा कि भाजपा शासनकाल में हर दो वर्ष में संविदा कर्मचारियों को महंगाई भत्ता अद्यतन कर वेतन में बढ़ोतरी प्राप्त होती रही है, लेकिन कांग्रेस शासनकाल में 4 वर्ष होने को आए पर एक भी वेतनवृद्धि नहीं मिली है। ऐसे में अत्यंत अल्प वेतन में संविदाकर्मी कार्य करने पर मजबूर हैं। इनमें से अधिकांश ने सरकारी सेवा के लिए निर्धारित न्यूनतम आयु पार कर चुके हैं, जिससे वे दूसरी नौकरी में भी नहीं जा सकते और कम से कम वेतन में ही जीविकोपार्जन के लिए मजबूर हैं।

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