Indian News : अगर आप ऑनलाइन कोई सामान ऑर्डर करें या फिर आप कहीं जाने के लिए किसी साधन को बुक करें और सामने से ड्रोन से उड़ता हुआ आए तो चौंकिएगा मत. यह बहुत जल्द सच होने वाला है. जी हां, सही पढ़ा आपने, बहुत जल्द देशी ड्रोन पर सवार होकर एक जगह से दूसरे जगह जाने का सपना साकार होने वाला है. दरअसल भारत का पहला ड्रोन जो मानव को एक जगह से दूसरे जगह ले जा सकने में सक्षम है. उसका सफल परीक्षण बीते माह 18 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीफ ऑफ डिफेंस के सामने किया गया था. जिसे बिहार के एक छोटी सी जगह के रहने वाले निकुंज और मृदुल बब्बर ने बनाया है. तो चलिए जानते हैं कि, क्या-क्या हो सकता है इस तरह के ड्रोन से.
जानिए कौन हैं निकुंज और मृदुल ?
बिहार के मुजफ्फरपुर जिला के रहने वाले निकुंज मर्चेंट नेवी में थे. उसके बाद उन्होंने अपनी कंपनी सागर डिफेंस खोली. उसी कंपनी ने इस ह्यूमन केरिंग ड्रोन को बनाया है.जबकि मृदुल बब्बर पेशे से इंजीनियर हैं. अपनी कंपनी सागर डिफेंस बनाने से पहले नासा में काम कर चुके है
उज्ज्वल भविष्य की डिमांड थी वर्तमान मेहनत
निकुंज बताते हैं कि, हम पिछले 5-6 साल से काम कर रहे हैं. अभी बीते माह 18 जुलाई को हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने डेमो दिया था. जिसमें एक व्यक्ति ड्रोन में बैठा और गंतव्य तक गया था.तो वहीं मृदुल बब्बर का कहना है कि, इसका भविष्य बहुत बड़ा है. अभी इसको बनाने का जो कॉस्ट है. वो पांच करोड़ तक पड़ रहा है. लेकिन जब यह आम जनता के लिए बहुत बड़ी संख्या में बनने लगेंगे तो सस्ते हो जाएंगे ठीक वैसे ही जैसे आज मोबाइल की कीमत है
भारतीय नौसेना की बढ़ेगी ताकत
निकुंज का कहना है कि मुख्यतः यह ड्रोन भारतीय नौसेना के काम में आएगा. दरअसल कई बार ऐसा होता है कि एक जहाज से दूसरे जहाज पर जवानों शिफ्टिंग करनी पड़ती है, और इसके लिए पहले दोनों जहाज को पैरेलल लाकर एक जैसी स्पीड में लाना पड़ता है, तब कहीं जाकर जवान एक जहाज से दूसरे जहाज पर जा पाते हैं. यह बहुत ही खरतनाक होता है. लेकिन अब इस ड्रोन से यह प्रक्रिया काफी आसान हो जाएगी.
सुरक्षा के लिए लगा है बैलेस्टिक पैराशूट
सागर डिफेंस का कहना है कि ड्रोन में 95% सामान स्वदेशी हैं, कुछ ही सामान बाहर से मंगवाना पड़ा. मृदुल बताते हैं कि, सुरक्षा की बात करें तो इसमें छह लेयर की सुरक्षा है, सब से अंतिम सुरक्षा इसमें बैलेस्टिक पैराशूट की है.रिचार्ज होने वाली बैटरी लगी है. जो दो से तीन घंटे में चार्ज होती है, और चार से पांच घंटे तक उड़ान भर सकती है.