Indian News : मकर संक्रांति पर्व 15 जनवरी 2023, रविवार को मनाया जाएगा. मकर संक्रांति का पर्व धर्म और ज्‍योतिष दोनों के लिहाज से अहम होता है. इस दिन ग्रहों के राजा सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं. सूर्य के मकर में गोचर को मकर संक्रांति कहा जाता है. इस दिन स्‍नान, दान और पुण्‍य करने का बड़ा महत्‍व है. इस साल मकर संक्रांति कई गुना ज्‍यादा खास है क्‍योंकि इस बार मकर राशि में शनि और सूर्य का मिलन हो रहा है. शनि इस समय मकर राशि में हैं और 17 जनवरी 2023 तक अपनी ही राशि में रहेंगे. वहीं मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने और खिलाने का लाभ भी कई गुना बढ़ जाएगा |

मकर संक्रांति पर खिचड़ी और शनि ग्रह का कनेक्‍शन 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति के दिन जो खिचड़ी बनाई जाती है  उसका संबंध विभिन्‍न ग्रहों से होता है. खिचड़ी में उपयोगी होने वाली सामग्री किसी न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्‍व करती है. जैसे चावल का चंद्रमा ग्रह, उड़द दाल का शनि से, हल्‍दी का गुरु से, हरी सब्जियों का संबंध बुध से, घी का सूर्य से आदि. इस तरह मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने से ये सारे ग्रह शुभ फल देने लगते हैं. इसके अलावा खिचड़ी या खिचड़ी में उपयोग होने वाली चीजों का दान करना बहुत लाभ देता है. इससे जीवन में सुख-समृद्धि, सफलता मिलती है और सेहत भी बेहतर होती है. इस साल मकर राशि में शनि-सूर्य की युति बनने पर खिचड़ी खाना और इसका दान करना शनि देव की जबरदस्‍त कृपा कराएगा |




ऐसे शुरू हुआ था मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने का चलन 

वैसे तो मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने का चलन शुरू होने के पीछे कई कारण और कथाएं बताई जाती हैं. लेकिन अधिकांश मान्यताओं के अनुसार, जब अलाउद्दीन खिलजी से युद्ध के दौरान नाथ योगी बहुत कमजोर हो गए  थे और भूख के कारण उनकी तबीयत बिगड़ने लगी थी. तब गोरखनाथ ने दाल चावल और सब्जी को एक साथ पकाकर सभी को खिवड़ी खिलाई थी. इससे नाथ योगियों को तुरंत ऊर्जा मिली और उनकी उनकी सेहत भी सुधार हुआ. तब से उनके सम्‍मान में मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने की परंपरा शुरू हुई |

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