Indian News : कानून अंधा होता है! आपने ये बात तो फिल्मों में कई बार सुनी होगी. असल जिंदगी में शायद आपका इस कथन से सामना भी हुआ होगा. पर आपने कभी सोचने की कोशिश की है कि आखिर ऐसा क्यों कहा जाात है? (Why justice is blind) जब-जब ये बात उठती है, तब-तब आपको हिन्दी फिल्मों का कोर्ट रूम याद आ जाता होगा जिसमें न्याय की देवी हाथ में तराजू (Who is the woman holding balance cale and sword in courts) लिए खड़ी दिखाई देती होगी. क्या आपने सोचने की कोशिश की है कि वो महिला कौन है और भारत से लेकर विदेशी कोर्ट तक, उसकी मूर्ति क्यों हर जगह लगी रहती है? (Who is lady justice) आज हम आपके सारे सवालों के जवाब देंगे.
जब भी इंसान किसी मुश्किल में फंसता है तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाता है. अमीर हो या गरीब, स्त्री हो या पुरुष, बुजुर्ग हो या युवा, कोर्ट हर किसी की सुनता है और उसे न्याय देता है. पर जब कानून इंसान के लिए इतना जरूरी है और कोर्ट उसको पालन करवाने का काम करती है, तो फिर कानून की आंखें तो दुरुस्त होनी चाहिए जिससे वो आसानी से सही-गलत, अच्छा बुरा देख ले और गलत को सजा सुना दे. फिर ये अंधा होने वाला कॉन्सेप्ट कहां से आया?
कौन हैं न्याय की देवी?
दरअसल, कानून को अंधा इसलिए कहा जाता है क्योंकि वो न्याय सुनाते समय ये नहीं देखता कि उसने सामने अमीर खड़ा है या गरीब, नेता खड़ा है या आम इंसान. कोर्ट सिर्फ तथ्यों और सबूतों के आधार पर फैसला करती है और कानून का पालन करवाती है. बस यही बात कानून की देवी पर भी लागू होती है. इस देवी का पूरा रूप-रंग कानून की परिभाषा को बयान करता है. आपको बता दें कि कानून की देवी (Goddess of Justice) असल में यूनान की एक देवी है. यूनान की देवी डिकी (Greek Goddess Dike) को न्याय की देवी कहा जाता है. वो थेमिस और जियस (Zeus and Themis) की बेटी हैं.
न्याय की देवी के कपड़े क्या दर्शाते हैं?
सबसे अनोखी चीज उनके लुक में छुपी है जो कानून के हर आयाम को दर्शाती है. न्याय की देवी (Why lady justice carry balance scale and sword) की आंखों पर पट्टी बंधी है, एक हाथ में तराजू है और दूसरे में तलवार है. पैरों के नीचे सांप है. तराजू ये दर्शाता है कि वो सच और झूठ को तोलती हैं और उसके आधार पर ही न्याय करती हैं. ये न्याय करते वक्त उनकी आंखों पर पट्टी बंधी रहती है जिससे वो ये सामने खड़े व्यक्ति के रसूख या शक्ति से प्रभावित ना हो पाएं, वो सिर्फ सबूतों और गवाहों के आधार पर ही सही फैसला सुनाने के लिए आंखों पर पट्टी बांधे रहती हैं.
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