Indian News : मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में इस साल के गणेश उत्सव में एक खास आकर्षण ने सभी का ध्यान खींचा है। शहर के नागझिरी स्थित श्रीराम नवयुवक गणेश मंडल द्वारा स्थापित ईको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्ति, जो केले, केले के पत्तों और फायबर से बनाई गई है, पर्यावरण संरक्षण और जल प्रदूषण रोकने का संदेश दे रही है। इस अनोखी मूर्ति ने न केवल शहरवासियों का दिल जीता है, बल्कि गणेश उत्सव में एक नई दिशा भी दी है।
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ईको फ्रेंडली मूर्ति की खासियत : श्रीराम नवयुवक गणेश मंडल पिछले 22 सालों से गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करता आ रहा है, लेकिन बीते 9 सालों से वे लगातार ईको फ्रेंडली मूर्तियों को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस साल उन्होंने केले और उसके पत्तों से गणेश जी की मूर्ति बनाई है, जिसे बनाने में करीब 5 हजार रुपए का खर्च आया है। इस मूर्ति को बनाने के पीछे मंडल का उद्देश्य जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और फिजूलखर्ची को रोकने का संदेश देना है।
प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग : इस बार की गणेश प्रतिमा को बनाने में केले, फायबर, पत्तों और पेड़ के रेशों का इस्तेमाल किया गया है। दो स्थानीय कलाकारों ने अपनी रचनात्मकता का उपयोग करके इस अनोखी मूर्ति को आकार दिया है। मंडल के सदस्य पहले भी बर्तन, गन्ना, मिट्टी, फल, मसाले, नदी के पत्थर, धागे और स्टेशनरी के सामान से गणेश मूर्तियां बना चुके हैं, जिससे उनका संदेश हर साल और भी मजबूत होता जा रहा है।
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जल प्रदूषण रोकने का संदेश : श्रीराम नवयुवक गणेश मंडल के इस प्रयास से गणेश उत्सव में एक नई जागरूकता आई है। मंडल के सदस्यों का कहना है कि लगातार 9 सालों से ईको फ्रेंडली गणेश जी की स्थापना करने से लोगों में जागरूकता बढ़ी है और उन्होंने भी पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) की जगह मिट्टी से बनी गणेश मूर्तियों को अपनाना शुरू कर दिया है। इस पहल से जल स्रोतों को प्रदूषित होने से बचाने में भी मदद मिल रही है।
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दर्शकों की प्रतिक्रिया : इस अनोखी मूर्ति को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ रहे हैं। पर्यावरण के प्रति संवेदनशील इस पहल की दर्शकों द्वारा काफी सराहना की जा रही है। गणेश मंडल का यह प्रयास समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस तरह की ईको फ्रेंडली मूर्तियों से न केवल प्रदूषण कम हो रहा है, बल्कि फिजूलखर्ची भी रोकी जा रही है।
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