Indian News : छ्त्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में एक धर्मांतरित परिवार ने 70 साल की बुजुर्ग महिला की मौत के बाद उसका शव गांव के श्मशान घाट में दफना दिया। जब इसकी जानकारी गांव के लोगों को मिली तो जमकर बवाल किया गया। ग्रामीणों को मौत पर संदेह भी था इसलिए प्रशासन से कहकर शव को बाहर निकाला। फिर, अधिकारियों ने पोस्टमॉर्टम करने के बाद शव को दफनाना चाहा लेकिन, ग्रामीणों ने इसका पुरजोर विरोध किया और शव दफनाने से मना कर दिया।

दरअसल, मामला जिले के कोरकोटी ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम खालेबेदी का है। इस गांव की रहने वाली 70 साल की दुलारी बाई की 2 दिन पहले मौत हो गई थी। परिजनों ने इस बात की खबर गांव के प्रमुखों को नहीं दी और बुजुर्ग महिला का शव गांव के ही श्मशान घाट में दफना दिया। हालांकि, दूसरे दिन किसी तरह से गांव में यह खबर फैल गई। ग्रामीणों ने शव दफनाने को लेकर जमकर विरोध किया। इसके साथ ही उन्हें मौत पर संदेह हुआ।

ग्रामीणों ने पुलिस और प्रशासन की टीम को इस मामले की जानकारी दी। जिसके बाद SDM शंकर लाल सिन्हा, SDOP भूपत धनेश्री, तहसीलदार आशुतोष शर्मा और थाना प्रभारी नरेंद्र पुजारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने शव को निकाला। फिर पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल लेकर गए। पीएम करने के बाद शव को ग्रामीणों ने गांव के श्मशान में दफनाने के लिए साफ तौर पर मना कर दिया।




जिसके बाद लाश को केशकाल के कब्रिस्तान ले जाया गया। हालांकि, यहां भी मसीह समाज के लोगों ने शव दफनाने को लेकर आपत्ति जाहिर की। उन्होंने कहा कि, वैसे भी उनके पास शव दफनाने के लिए कब्रिस्तान में जगह नहीं है और बाहर से यदि किसी व्यक्ति के शव को लाकर दफनाया जाएगा तो जगह की कमी पड़ जाएगी। मामले के बाद प्रशासन ने समझाइश दी और शव को कब्रिस्तान में ही दफनाया गया।

SDM शंकर लाल सिन्हा ने बताया कि, ग्राम खालेबेदी के ग्रामवासियों ने बुजुर्ग महिला की मौत पर संदेह जाहिर किया है। इसको लेकर उन्होंने लिखित रूप से थाना धनोरा में शिकायत करवाई। जिसके बाद ग्राम खालेबेदी पहुंच शव को बाहर निकाला गया। फिर केशकाल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पोस्टमॉर्टम करा शव को केशकाल के मसीह समाज के कब्रिस्तान में दफनाया गया। मृतक का परिवार 12 साल पहले हिंदू धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म अपना लिया था। जिसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं।

You cannot copy content of this page