Indian News : मैं हेमेंद्र प्रताप सिंह, यूपी के जौनपुर का रहने वाला हूं। 10 साल पहले अपने परिवार के साथ मुंबई शिफ्ट हो गया था। तब करीब 16 साल मेरी उम्र रही होगी। टीन एज के टशन में था। कॉलेज की सबसे सुंदर और इंटेलिजेंट लड़की को डेट कर रहा था। क्रिकेट में मेरा सिक्का चलता था। मुझे लगता था कि चारों जहां मेरी मुट्ठी में हैं, लेकिन जल्द ही मेरी चमकीली दुनिया काली स्याह में बदल गई। न क्रिकेट रहा, न कॉलेज और न गर्लफ्रेंड। एक झटके में सब खत्म हो गया।
मुझे सजने-संवरने का बहुत शौक था। अच्छे से ड्रेसअप होता था और बालों में जेल लगाकर स्पाइक्स (बाल खड़े कर लेना) बनाता था। मां को यह पसंद नहीं था, इसलिए अपने बैग में जेल छुपाकर कॉलेज ले जाता था।
मैं लास्ट बेंच पर बैठता था। एक दिन की बात है। फिजिक्स की टीचर ब्लैकबोर्ड पर कुछ इक्वेशन लिख रही थी। महसूस किया कि मुझे थोड़ा धुंधला दिखाई दे रहा है। लगा कि रात में नींद ठीक से नहीं ली है इसलिए ऐसा हो रहा है, कल ठीक हो जाएगा। अगले दिन भी ऐसा ही हुआ।
एक दिन मुझे हार्डवेयर में एक मशीन का टेम्प्रेचर सेट करने के लिए नॉब घुमाना था, लेकिन मुझसे सेट नहीं हो पाया। इसी तरह केमिस्ट्री के लैब में भी हुआ, लेकिन तब टीचर को लग रहा था कि मैं मस्ती कर रहा हूं। इसके लिए डांट भी पड़ने लगी।
इसके बाद मैं लास्ट बेंच से उठकर बीच में आकर बैठने लगा। फिर भी मुझे धुंधला ही दिखाई दे रहा था, लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया। अपनी मस्ती में लगा रहा और आगे से पहली बेंच पर बैठने लगा। तब मेरे कई दोस्तों ने चेताया कि चश्मा बनवा लो, तुम्हारी आंख में दिक्कत है। मैंने मां से बात की और डॉक्टर के पास गए। डॉक्टर ने कहा कि तुम्हारी आंखों की रोशनी कम है। इसके बाद चश्मा भी लग गया।