Indian News : नई दिल्ली | एमबीबीएस, बीडीएस और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के लिए हर वर्ष एनटीए की तरफ से नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट यानि कि नीट आयोजित किया जाता है. इस परीक्षा में लाखों की संख्या में अभ्यर्थी शामिल होते हैं. ऐसे में सरकारी कॉलेजों में सिर्फ कुछ अभ्यर्थियों को ही एडमिशन मिल पाता है. वहीं, मजबूरी में कम रैंक लाने वाले अभ्यर्थियों को प्राइवेट कॉलेजों में एडमिशन लेना पड़ता है.

इसकी वजह से कई परिवारों की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा जाती है. साथ गरीब परिवार से आने वाले बच्चे प्राइवेट कॉलेजों में फीस ज्यादा होने के चलते एडमिशन नहीं लेते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा एलान किया है. अब 50 प्रतिशत मेडिकल सीटों पर सरकारी कॉलेज के बराबर फीस ली जाएगी.

दरअसल, 7 मार्च 2022 यानि कि सोमवार को जन औषधि दिवस (Jan Aushadhi Diwas) के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन औषधि योजना (Jan Aushadhi Yojana) की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि हमने तय किया है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेजों के बराबर ही फीस लगेगी. यह नियम अगले वर्ष से लागू हो जाएगा.




मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद नेशनल मेडिकल कमीशन (National Medical Commission) ने गाइडलाइन तैयार कर ली है. अगले सत्र से नियम लागू कर दिया जाएगा. यह फैसला निजी विश्वविद्यालयों के अलावा डीम्ड यूनिवर्सिटीज़ पर भी लागू होगा.

आपको बता दें कि भारत में सरकार स्कूलों में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए अभ्यर्थियों को एक वर्ष में 80000 रुपए फीस देनी होती है. वहीं, प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एक वर्ष की फीस 10 लाख से 12 लाख रुपए लगती है. ज्यादा फीस लगने की वजह से अधिकतर छात्र प्राइवेट कॉलेजों में पढ़ाई नहीं करते हैं और दूसरे देशों जैसे यूक्रेन, रूस और चीन चले जाते हैं.

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