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नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला से दुष्कर्म करने, उसके गुप्तांगों में टूटी हुई लकड़ियां डालने और उसकी गला घोंटकर हत्या करने के दोषी व्यक्ति को दी गई आजीवन कारावास की सजा को बिना किसी छूट के 20 साल की कैद में बदल दिया। उच्च न्यायालय ने उस “शैतानी और विकृत तरीके” पर विचार किया, जिसमें व्यक्ति पीड़िता को एकांत स्थान पर ले गया और न केवल उसका यौन उत्पीड़न किया बल्कि गला घोंट कर उसकी हत्या करने से पहले उसके गुप्तांगों में टूटी हुई लकड़ियां डालीं। अदालत ने कहा कि वह बिना किसी छूट के एक निश्चित अवधि के लिये कारावास का पात्र है।
अदालत ने सजा सुनाते वक्त इस बात पर भी ध्यान दिया कि आदमी इस समय 38 साल का है, आठ साल की कैद काट चुका है और उसे दो नाबालिग बच्चों व पत्नी की देखभाल करनी है क्योंकि परिवार में उनकी देखभाल करने वाला कोई और नहीं है। न्यायमू्र्ति मुक्ता गुप्ता और न्यायमूर्ति पूनम ए. बंबा की पीठ ने कहा, “इस अदालत ने पाया कि बिना छूट के 20 साल की अवधि के कारावास की सजा उद्देश्य की पूर्ति करेगी। नतीजतन, निचली अदालत द्वारा अपीलकर्ता को दी गई सजा को बिना किसी छूट के 20 साल की अवधि के कठोर कारावास में बदला जाता है।” उच्च न्यायालय ने दोषी को 60,000 रुपये का जुर्माना जमा करने के लिए भी कहा और यह राशि वसूल होने पर मृतक महिला के कानूनी उत्तराधिकारियों को मुआवजे के रूप में राशि का भुगतान किया जाएगा।
उच्च न्यायालय का फैसला दोषी राम तेज की याचिका पर आया था, जिसमें निचली अदालत द्वारा मई 2018 में महिला से बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में उसे दोषी ठहराए जाने के बाद दी गई उम्रकैद की सजा को चुनौती दी गई थी। इससे पहले, उच्च न्यायालय ने महिला के साथ बलात्कार करने और उसका गला घोंटने से पहले उसके निजी अंगों में लकड़ियां डालने के मामले में उसे दोषी ठहराये जाने के फैसले को रद्द करने से इनकार कर दिया था। अभियोजन के मुताबिक जनवरी 2015 में दक्षिणी दिल्ली के फतेहपुर बेरी इलाके में महिला का अर्धनग्न शव मिला था। जांच के बाद पुलिस ने राम तेज को गिरफ्तार किया था