Indian News : छत्तीसगढ़ के मरवाही वन मंडल के छोटे से गांव मड़ई की 11 महिलाओं ने वन विभाग के सहयोग से आर्थिक सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है। मां महामाया स्वसहायता समूह की इन महिलाओं ने कृषि-वनीकरण के जरिए अपने जीवन स्तर को ऊंचा किया है और अब तक 7 लाख रुपये से अधिक की आय अर्जित कर चुकी हैं।

महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए वन विभाग का सहयोग : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निर्देशानुसार, छत्तीसगढ़ वन विभाग ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए विशेष प्रयास किए हैं। वन विभाग की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। इस दिशा में मां महामाया स्वसहायता समूह की महिलाओं ने अपने दृढ़ संकल्प और मेहनत से सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ है।

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कृषि-वनीकरण से आय में वृद्धि : वित्तीय वर्ष 2018-19 में मां महामाया स्वसहायता समूह की अध्यक्ष मीरा बाई और उनकी साथियों ने पथर्रा (रुमगा) राजस्व क्षेत्र की 5 हेक्टेयर भूमि में 2,000 आम के पेड़ लगाए। इन पेड़ों में दशहरी, लंगड़ा, आम्रपाली जैसी लोकप्रिय किस्मों के साथ-साथ स्थानीय किस्मों के आम के पेड़ भी शामिल हैं। ग्रीन इंडिया मिशन के तहत शुरू की गई यह पहल न केवल पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देती है, बल्कि स्थानीय समुदाय के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करती है।

कठिनाइयों के बाद सफलता की कहानी : शुरुआती वर्षों में, महिलाओं को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। पहले साल में आम के पौधों की देखभाल के लिए गहरी जुताई करनी पड़ी, जिससे पौधों की जड़ों को मजबूत किया जा सके। हालांकि, मुनाफा नहीं हुआ, लेकिन महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी। 2019-20 में, आम के पेड़ बड़े हुए तो महिलाओं ने अंतरवर्ती स्थानों में सब्जियां उगानी शुरू कीं और आय अर्जित की।

पर्यावरण संरक्षण के साथ आर्थिक सशक्तिकरण : 2022-23 में, समूह की मेहनत रंग लाई और आम के पेड़ों ने अच्छी फसल दी। इस दौरान 4,203 किलो आम को स्थानीय और बिलासपुर बाजारों में बेचा गया, जिससे समूह को अब तक 7 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा हुआ। महिलाओं ने यह साबित कर दिया कि सही मार्गदर्शन और सामुदायिक सहयोग से आर्थिक आत्मनिर्भरता के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण भी संभव है।

भविष्य की योजनाएं : अपनी सफलता से प्रेरित होकर, मां महामाया स्वसहायता समूह की महिलाएं अब सब्जियों और आमों के परिवहन के लिए ई-रिक्शा खरीदने पर विचार कर रही हैं। इसके अलावा, वे भविष्य में एक लघु आइसक्रीम निर्माण इकाई स्थापित करने की भी योजना बना रही हैं, जिससे उनकी आय में और वृद्धि हो सके। इस सफलता की कहानी न केवल आर्थिक उन्नति की मिसाल है, बल्कि एक स्थायी और समृद्ध भविष्य की दिशा में भी एक प्रेरक कदम है।

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