Indian News : बेंगलुरु | कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka high court) ने शुक्रवार को कहा कि उसने हिजाब विवाद (Hijab Controversy) के पीछे कट्टरपंथी संगठनों की भूमिका के बारे में राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। अदालत घनश्याम उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता ने पिछले महीने तटीय जिला मुख्यालय शहर उडुपी (Udupi) से उठकर विवाद के कर्नाटक के अन्य हिस्सों में फैल गये इस विवाद की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) एवं राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जांच कराने का अनुरोध किया है। मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी ने उपाध्याय के वकील सुभाष झा से कहा क‍ि हम पहले ही सरकार से रिपोर्ट मांग चुके हैं और हम आपकी बातों पर गौर करेंगे।
न्यायमूर्ति अवस्थी, न्यायमूर्ति जे एम काजी और न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की पूर्ण पीठ 10 फरवरी से रोजाना आधार पर इस मामले की सुनवाई कर रही है। पीठ के सामने अपना पक्ष रखते हुए झा ने कहा कि हिजाब पहनकर कक्षाओं में जाने देने के वास्ते दबाव डालने के लिए चल रहा आंदोलन कुछ कट्टरपंथी संगठनों का किया-धरा है जिन्हें कुछ दूसरे देशों से धन मिलता है। झा ने कहा क‍ि इतने बड़े पैमाने पर आंदोलन रातोंरात खड़ा नहीं किया जा सकता, इसलिए यदि यह आंदोलन अभिप्रेरित (अन्य द्वारा प्रायोजित है) और निश्चित ही अभिप्रेरित है, कुछ संगठन द्वारा वित्तपोषित है , क्योंकि यह एकाएक तो शुरू हो नहीं सकता। यह नापाक मंसूबा है।

सीबीआई या एनआईए से जांच अभी नहीं

मुख्य न्यायाधीश ने जानना चाहा कि क्या उन्होंने यह दर्शाने के लिए कुछ सामग्री पेश की है कि कुछ संगठन एवं लोग इस आंदोलन के पीछे हैं। इस पर झा ने कहा कि जब यह अदालत संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, उसी दौरान बजरंग दल के कार्यकर्ता हर्ष की हत्या कर दी गयी एवं एक कट्टरपंथी संगठन का नाम सामने आया। तब न्यायमूर्ति अवस्थी ने कहा कि जब जांच लंबित हो तब किसी निष्कर्ष पर पहुंचना उपयुक्त नहीं है, पुलिस अपना काम कर रही है।




मुख्य न्यायाधीश ने कहा क‍ि जब तक पुलिस इस मामले के संबंध में कुछ लेकर सामने नहीं आती है और कहती कि यह वह संगठन है जिसका उस व्यक्ति की हत्या से ताल्लुक है, तबतक हम ऐसी धारणा नहीं बना सकते। झा से कोई धारणा बनाने से परहेज करने का आह्वान करते हुए मुख्य नयायाधीश ने कहा कि जहां भी समस्या है, प्रशासन उपयुक्त कार्रवाई कर रही है। न्यायमूर्ति अवस्थी ने कहा क‍ि हम यह धारणा नहीं बना सकते कि इस मामले को सीबीआई या एनआईए को जांच के लिए सौंप दिया जाए।

गृहमंत्रालय को बुलाने की मांग

झा ने अदालत से केंद्रीय गृहमंत्रालय, जो पक्ष है, को बुलाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा क‍ि गृहमंत्रालय को यह कहने के लिए रिपोर्ट देने दी जाए कि नापाक मंसूबा जैसी कोई बात है। अपनी संबद्ध दलील में वरिष्ठ वकील प्रोफेसर रवि वर्मा कुमार ने हिजाब प्रतिबंध का विरोध कर रही लड़कियों का पक्ष रखते हुए कहा कि अपने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में सरकारी महाविद्यालयों में विधायकों की अगुवाई वाली महाविद्यालय विकास समिति के पास प्रशासनिक शक्तियां नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा क‍ि विधायकों को पूर्ण शक्ति दी गयी है। विधायकों को थाल में सजाकर महाविद्यालय दे दिया गया है। विधायक कॉलेज में राजा की तरह बैठते हैं और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होती है। मान लीजिए यदि कोई वित्तीय अनियमितता होती है और समिति उसमें लिप्त पायी जाती है तो उनकी जांच कौन करेगा।

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