Indian News : इन दिनों MP बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं चल रही है। कई छात्रों में एग्जाम को लेकर काफी ज्यादा डर भी देखने को मिल रहा है। छतरपुर में तो 12वीं का फिजिक्स का पेपर देने पहुंची छात्रा परीक्षा हॉल में ही बेहोश होकर गिर गई। उसका इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। एग्जाम को लेकर वो इतना डरी हुई है कि अस्पताल में भी उसके हाथ कांप रहे हैं। 18 साल की छात्रा आस्था पाठक के साथ ये घटना सोमवार को हुई थी।
रातभर जाग कर की तैयारी, रिवीजन का भी नहीं मिला टाइम
युवती ने बताया कि पहले ये कहा गया था कि एग्जाम नहीं होंगे। होंगे तो ऑनलाइन होंगे। हम लोगों को अचानक पता चला कि एग्जाम होने हैं। एक तो बोर्ड के पेपर मार्च में रखे जाते हैं, लेकिन इस बार फरवरी में रख दिए गए। सिलेबस का भार तो हमेशा होता है, ऊपर से बोर्ड एग्जाम का भी टेंशन। फिजिक्स में एक दिन का गैप था, तो और ज्यादा स्ट्रेस हो गया, क्योंकि इतना सारा सिलेबस कवर नहीं हो पा रहा था। रातभर जागी इस चक्कर में। पेपर भी लेंदी था, ये देखकर टेंशन सा हो गया। मैंने प्रिपेयर किया था पर इतना कम टाइम रहा कि जो पढ़ा था, उसका रिवीजन भी नहीं कर पाई। हम लोगों को यह कहा गया कि क्वेश्चन बैंक और प्री बोर्ड के जो पेपर हैं उन पर फोकस करो। उससे कुछ भी मदद नहीं मिली। पेपर बहुत टफ रखा गया। परीक्षा हॉल में एकदम से चक्कर आ गया। मैं बेहोश होकर गिर गई।
9th के बाद सीधे 12th में ऑफलाइन पेपर दिया, इसलिए घबरा गई
9th के बाद सीधे 12th में ऑफलाइन पेपर दिया, इसलिए घबरा गई। 9th पहले ऑनलाइन रहा फिर ऑफलाइन कर दिया। एकदम से बदल दिया, जबकि ऑनलाइन की आदत सी पड़ गई थी और एकदम से एग्जाम की डेट भी मार्च की जगह फरवरी में रख दी गई। टाइम भी ज्यादा नहीं मिला। सरकार को खुद सोचना चाहिए कि फिजिक्स लेंदी सब्जेक्ट है और एक दिन का समय उचित नहीं है। एक दिन में तो सब्जेक्ट का रिवीजन भी नहीं होता। मुझे सप्लीमेंट्री के चक्कर में नहीं पड़ना। अभी मेरी कंडीशन ऐसी है, पता नहीं अगले पेपर तक ठीक हो पाऊं या नहीं। ऐसे में मेरा क्या होगा, मैं दोबारा एग्जाम नहीं देना चाहती हूं। मेरा पूरा साल बर्बाद हो जाएगा।
पीएम और सीएम से अपील
मेरा पीएम मोदी और सीएम शिवराज सिंह चौहान से यही निवेदन है कि हम बच्चों को सफिशिएंट टाइम देना चाहिए। बच्चों पर बर्डन बहुत हो रहा है। मैं बिल्कुल भी नहीं सोच पा रही थी कि मेरी ये हालत होगी। एग्जाम का प्रेशर बर्डन और गैप कम मिलने से मेरी आज ये हालत हो रही है। प्रॉपर गैप और टाइम बच्चों को मिलना चाहिए। स्कूल, क्लास नहीं लगी हैं तो उससे काफी फर्क पड़ा है। मेरे फ्रेंड्स जो मिलने आए थे, सबका कहना यही है कि पेपर बहुत ज्यादा लेंदी था तो तबीयत खराब हो गई। उन लोगों को भी रोना आ रहा था, पेपर देख के मुझे घबराहट होने लगी तो ऐसा हो गया।
फरवरी में एग्जाम का कोई मतलब नहीं
फरवरी में एग्जाम रखने का कोई मतलब नहीं। परीक्षाएं मार्च में होनी चाहिए। और अगर बोर्ड एग्जाम रख भी दिए तो प्रॉपर गैप तो रखना चाहिए। 12th बोर्ड के एग्जाम केवल 11 दिन में खत्म हो रहे हैं। ऐसे कौन से बोर्ड एग्जाम होते हैं जो 10 दिन में खत्म हो जाते हैं। हम लोगों को गैप सफिशिएंट नहीं मिला है। लोग जी जान से मेहनत भी कर रहे तो एक दिन में कितनी मेहनत कर सकेंगे। सिलेबस बहुत ज्यादा था और बिल्कुल भी हो नहीं पा रहा था।
बिहार में भी बेहोश हुई छात्राये
इसी तरह बिहार के बेगूसराय में मैट्रिक परीक्षा देने के दौरान शहर के एसबीएसएस कॉलेज परीक्षा केंद्र पर चार छात्राएं बेहोश हो गईं। घटना के बाद कुछ समय के लिए परीक्षा केंद्र पर अफरा-तफरी मच गई। आनन-फानन में कॉलेज प्रशासन द्वारा सदर अस्पताल से एम्बुलेंस मंगाया और सभी छात्राओं को इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया।
बेहोश छात्राओं में खातोपुर के रहने वाले मो. अमजद की पुत्री रुखसाना खातून, अयोध्याबारी के रामोदय राय की पुत्री मौसम कुमारी, डुमरी के रहने वाले मुन्ना साव की पुत्री संजना कुमारी व चिलमिल गांव निवासी मो. औरंगजेब की पुत्री जोहरा फातिमा शामिल है।