Indian news : झारखंड हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कथित ज़मीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ज़मानत दे दी है हेमंत सोरेन ने जेल से निकल कर कहा कि एक मनगढंत कहानी बना कर जेल में पांच महीने तक रखा गया. देश के अलग-अलग हिस्सों में जो लोग भी इस सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं, उन्हें जेल में बंद किया जा रहा है.
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सोरेन ने जेल से निकलते ही जेएमएम के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, “जो किया जा रहा है, वो भी पूरे देश में किसी से छिपा नहीं है. एक मनगढंत कहानी बना कर मुझे पांच महीने तक जेल में रखा गया. इसी प्रकार देश के अलग-अलग हिस्सों में कहीं पत्रकार बंद हैं, कहीं सरकार के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाले लोग बंद हैं, आवाज़ को कुचला जा रहा है, दिल्ली के मुख्यमंत्री जेल में बंद हैं. कई मंत्रियों को जेल में डाला जा रहा है.”
“न्याय की प्रक्रिया इतनी लंबी हो रही है कि दिन-महीने नहीं सालों लग रहे हैं. जो लोग शिद्दत के साथ देश समाज के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं उनके काम में बाधा डाली जा रही है.”
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उन्होंने कहा, “आज मैं फिर अपने राज्य की जनता के बीच हूं. जो संकल्प हमने लिया है उसे हम मकाम तक ले जाने का काम करेंगे. आज मुझे लगता है कि ये पूरे देश के लिए एक संदेश है, किस तरह से हमारे ख़िलाफ़ षड्यंत्र रचा गया. कोर्ट का आदेश आपको देखने को मिलेगा. किन बातों को उजागर किया गया है, वो भी देखने को मिलेगा. जो भी न्यायालय का आदेश है, उसका आप अच्छे से आकलन करें.”
हाई कोर्ट ने कहा- सोरेन अपराध से जुड़े नहीं
झारखंड हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन को ज़मानत देते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया सबूतों को देखते हुए ये मानने के कारण हैं कि हेमंत सोरेन कथित अपराधों के लिए दोषी नहीं हैं.
कोर्ट ने कहा, “यह ध्यान देने योग्य है कि भानु प्रताप प्रसाद के परिसर से बरामद कई रजिस्टरों और रेवेन्यू रिकॉर्ड में याचिकाकर्ता (हेमंत सोरेन) या उनके परिवार के सदस्यों का नाम नहीं है.”
“अगर व्यापक संभावनाओं पर भी जाएं तो स्पेसिफिक या अप्रत्यक्ष रूप से याचिकाकर्ता शांति नगर, बारागैन, रांची में 8.86 एकड़ भूमि के अधिग्रहण और कब्ज़े में शामिल नहीं लगते और ना ही ‘अपराध से की गई आय’ को छिपाने में शामिल दिखते हैं.”
“किसी भी रजिस्टर/रेवेन्यू रिकॉर्ड में उक्त ज़मीन के अधिग्रहण और कब्ज़े में याचिकाकर्ता की प्रत्यक्ष भागीदारी का कोई ज़िक्र नहीं है.”
“इस कोर्ट में दर्ज किए गए निष्कर्षों के आधार पर इस अदालत ने पाया है कि पीएमएलए की धारा 45 की शर्त पूरी करते हुए ये मानने का कारण हैं कि याचिकाकर्ता कथित अपराध का दोषी नहीं हैं.”
“इसलिए याचिकाकर्ता को 50,000 (पचास हजार रुपये ) के ज़मानत बांड के साथ ज़मानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है.”
सोरेन की ज़मानत बॉन्ड पीएमएलए की विशेष जज राजीव रंजन के सामने पेश की गई है और वो जेल से बाहर आए.
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कोर्ट में क्या-क्या दलीलें दी गईं
ईडी ने 31 जनवरी, 2024 को सात घंटे से ज़्यादा पूछताछ के बाद हेमंत सोरेन को गिरफ़्तार कर लिया था. गिरफ़्तारी से पहले हेमंत सोरेन राजभवन गए और सीएम पद से इस्तीफ़ा दे दिया.
इस्तीफ़े के बाद चंपाई सोरेन को जेएमएम विधायक दल का नेता चुना गया और 5 फ़रवरी को नई चंपई सोरेन सरकार ने 47 विधायकों के समर्थन में सदन में विश्वास मत हासिल कर लिया.
हेमंत सोरेन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए ईडी ने आरोप लगाया कि उन्होंने रांची में 8.86 एकड़ ज़मीन ‘अवैध रूप से’ हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री के पद का दुरुपयोग किया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, ज़मानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलील में कहा था कि मामला सिविल है. ज़मीन को भुइंहारी (छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) के तहत गैर-बिक्री योग्य) बताया गया है. और इसे हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है, इसलिए मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का कोई केस नहीं है.
ईडी ने अपनी दलील में कहा था कि हेमंत सोरेन ने ज़मीन पर कब्ज़ा करने के लिए अधिकारियों की मदद ली थी.
ईडी के वकील ने सोरेन की ज़मानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि पूछताछ में गवाहों ने पूर्व सीएम सोरेन की अवैध ज़मीन सौदे में संलिप्तता की बात कही थी.
ईडी ने ये भी दावा किया कि ज़मीन के मूल मालिक राज कुमार पाहन ने जब अपनी ज़मीन पर कब्ज़े की शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की थी, तो उस पर कभी कार्रवाई नहीं की गई.
एजेंसी ने कहा कि इसके विपरीत, ज़मीन के चारों ओर एक चारदीवारी का बना दी गई और ज़मीन के लिए एक केयरटेकर नियुक्त किया गया.
केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि उसने ज़मीन का स्वतंत्र सर्वे कराया और केयरटेकर संतोष मुंडा से पूछताछ की, जिसने कथित तौर पर कहा था कि यह हेमंत सोरेन की ज़मीन है.
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