Indian News : एक लड़की की कहानी आज समाज के लिए मिसाल बन रही है । लड़की बता रही है कि जिस समाज में पैदा हुईए उसकी हकीकत तो पहले दिन से जानती थी।


समाज की मानसिकता से वह पूरी तरह रूबरू थीं। शादी की रात सफेद चादर बिछाकर इस लड़की का समुदाय चेक करता था कि लड़की वर्जिन है या नहीं। कहीं वह शादी से पहले संबंध तो नहीं बना चुकी ।

अगर सफेद चादर पर खून का दाग न मिले तो यह लड़की के लिए ताउम्र के लिए कलंक बन जाता था। आगे वह बता रही है कि बचपन से अपने परिवार और रिश्तेदारी की लड़कियों को चादर पर खून लगने से कभी गर्व से परचम लहराते देखा तो कभी ऐसा नहीं होना उनके लिए जीवन भर का कलंक बन गया, यह भी देखा।




इसके बाद कसम खाई कि अपनी शादी में ये वर्जिनिटी टेस्ट नहीं होने दूंगी। लेकिन मुझमें कभी इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं आगे बढ़कर ये बात अपने परिजनों से कह पाती।


महाराष्ट्र के कंजरभाट समुदाय में ये प्रथा सालों से चली आ रही है. आज जब पूरी दुनिया में औरतों के अधिकार और आजादी की बात हो रही है, हमारा समाज आज भी शादी की रात औरत से उनकी पवित्रता का सर्टिफिकेट मांगता है और वो सर्टिफिकेट है सफेद चादर पर लगा खून का दाग. शादी की रात हमारे समाज में जो होता है, वो किसी डरावनी कहानी से कम नहीं..

कंजरभाटों में शादी शाम के समय होती है. शादी के बाद एक पंचायत बैठती है, जिसमें लड़का और लड़की दोनों पक्षों के पंचायत के प्रमुख बैठते हैं. लड़के वाले सवाल करते हैं, लड़की के मां बाप जवाब देते हैं.लड़की के शरीर की हरेक डीटेल पूछी जाती है. उसे कभी कोई बीमारी तो नहीं हुई, उसके शरीर पर कहीं कोई घाव या चोट का निशान तो नहीं, उसके दांत सारे सही-सलामत है.

ऐश्वर्या तमाईचिकार कंजरभाट समुदाय की वह पहली लड़की है, जिसने शादी की रात वर्जिनिटी टेस्ट देने से इनकार कर दिया. इस कुप्रथा के खिलाफ ऐश्वर्या का छोटा सा विरोध बड़ी मुहिम में बदल रहा है लड़की को ऐसे नापा-जोखा जाता है मानो वो इंसान नहीं, कोई सामान हो. फिर लड़की के मां बाप से पूछा जाता है कि सब सही है, लड़की को भेजा जा सकता है. दरअसल वो ये पूछ रहे होते हैं कि लड़की के पीरियड तो नहीं चल रहे.

अगर लड़की पीरियड में होती है तो बरात वापस चली जाती है और पांच दिन बाद फिर आती है. अगर पीरियड नहीं होते तो लड़की को सुहागरात के लिए भेजा जाता है. ये सब लड़की की विदाई से पहले हो रहा है. ये काम लड़की के घर में नहीं होता, बल्कि इसके लिए अलग से एक लॉज या होटल का कमरा बुक किया जाता है. हमारे समुदाय के लिए वो ठिकाने भी पहले से तय होते हैं. लॉज वाले को भी पता होता है कि कमरा किसलिए बुक किया जा रहा है.. जिस कमरे में शादी के बाद लड़का-लड़की को भेजा जाता है, उसे पहले सैनिटाइज किया जाता है. पूरे कमरे की जांच होती है कि वहां पहले से कोई चाकू, कैंची, ब्लेड या ऐसा कोई भी धारदार सामान न हो, जिससे काटकर खून निकाला जा सके. लड़की को कमरे में बिलकुल निर्वस्त्र भेजा जाता है. ब्रा तक नहीं पहनने देते वरना ब्रा के हुक से वह शरीर को खरोंचकर उससे खून निकाल सकती है. लड़का और लड़की, दोनों को चेक किया जाता है कि उनके शरीर पर पहले से कोई चोट या घाव तो नहीं है.

फिर दोनों को कमरे में निर्वस्त्र छोड़ देते हैं. उन्हें आधे एक घंटे का समय दिया जाता है. इस बीच घर के बड़े जैसे दीदी – जीजा और भईया-भाभी कमरे के दरवाजे पर ही पहरा देते रहते हैं कि कहीं वो बाहर से खून या रंग लाकर न डाल दे.
लड़का-लड़की को किसी भी तरह उतने समय के भीतर संबंध बनाने होता है. अगर उनसे नहीं हो रहा है तो उन्हें पोर्न दिखाया जाता है. कई बार तो भईया-भाभी खुद डेमो देते हैं और करके बताते हैं कि कैसे करना है.


एक बार मेरी एक कजिन के साथ ऐसा हुआ कि उससे नहीं हो पा रहा था. तो उसकी भाभी ने कमरे में जाकर चेक किया कि उनका इंटरकोर्स प्रॉपर हो रहा है या नहीं. उन्होंने अपनी आंखों के सामने ये सब होते देखा और बाहर आकर बोलीं कि इंटरकोर्स ठीक से हो रहा है, तुम्हारी लड़की वर्जिन नहीं है.


ये सब होते के बाद एक बार फिर पंचायत बैठती है. लड़के वालों की पंचायत का हेड लड़के से पूछता है कि तुमको जो माल दिया गया था, वो कैसा था. ये लड़की को माल बुलाते हैं. अगर लड़की की ब्लीडिंग हुई होती है.

तो लड़का मराठी में तीन बार बोलता है, खरा-खरा-खरा और अगर ब्लीडिंग नहीं होती तो तीन बार बोलता है, खोटा खोटा खोटा. लड़की वर्जिन होती है तो खुशी-खुशी बिरयानी पकती है, वर्जिन नहीं होती तो दाल-चावल खाकर बरात विदा हो जाती है.
हमारे यहां ये माना जाता है कि अगर चादर पर खून नहीं दिखा तो लड़की पहले भी किसी के साथ संबंध बना चुकी है. फिर भरी पंचायत में सबके सामने लड़की से पूछा जाता है कि पहले उसने किसके साथ संबंध है. अगर लड़की बोल रही है कि वो वर्जिन है, इससे पहले वो कभी किसी के साथ नहीं सोई तो कोई उसकी बात पर यकीन नहीं करता.


जब हमने अपने समुदाय के लोगों को यह समझाने की कोशिश की कि कई बार लड़कियां बिना हाइमन के ही पैदा होती हैं, कई बार खेलकूद से भी हाइमन फट सकता है.

शादी की रात ब्लीडिंग न होने का ये अर्थ बिलकुल नहीं है कि लड़की वर्जिन नहीं है. लेकिन कोई इस बात को मानता नहीं. उनका कहना है कि हमारे यहां सैकड़ों सालों से यह प्रथा चली आ रही है और जो भी लड़की शादी की रात ब्लीड नहीं करती, वो किसी न किसी का नाम जरूर बताती है. जिसके साथ वो शादी से पहले संबंध बना चुकी है. अगर लड़की वर्जिन नहीं निकलती तो कुछ धार्मिक रिचुअल होते हैं और लड़के से कहा जाता है कि वो लड़की को माफ कर दे.


वर्जिन न होने पर लड़की को विदा करके तो ले जाते हैं, लेकिन सार्वजनिक रूप से उसका अपमान बहुत होता है. उसे हमेशा इस बात का ताना दिया जाता है और याद दिलाया जाता है कि वो एक खराब चरित्र की लड़की थी. शादी की रात जिसकी चादर पर खून का दाग नहीं लगा. जिस लड़की की चादर पर दाग लग जाता है, वो गर्व से सिर उठाकर जाती है. वो चादर लड़की को संभालकर रखनी होती है और ससुराल में जितने भी लोग उससे मिलने आते हैं, सब वो चादर दिखाने को कहते हैं.

ये लड़की की मुंह दिखाई की तरह है. सब चादर देखते हैं, लड़की के चरित्रवान होने की तारीफ करते हैं और घर चले जाते हैं.
ये सब बोलते हुए भी मेरा दिल जैसे डूब जाता है. मैं जितनी बार ये कहानियां दोहराती हूं, शर्म और अपमान में उतनी बार मरती हूं. जब विवेक के साथ मेरी शादी तय हुई तो मैं इस बारे में उनसे बात करना चाहती थी. लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई. एक लड़की अगर अपनी तरफ से आगे बढ़कर बोले तो उसे चरित्रहीन समझा जाएगा. लेकिन जब विवेक ने खुद ही मुझसे पूछ लिया कि इस प्रथा के बारे में तुम्हारा क्या विचार है तो सन्न रह गई. मैंने तब भी कुछ नहीं कहा. उल्टे उनसे पूछा कि उनका क्या विचार है.


वो इस प्रथा को गलत मानते थे और इसके खिलाफ मुहिम चलाना चाहते थे. वो बोले, मैं ये लड़ाई अकेले नहीं लड़ सकता. अगर तुम मेरा साथ दोगी, तभी हम ये कर सकते हैं. मैं तो पहले ही खुशी और सम्मान से भर गई थी. मैंने हां कर दी.

शादी तय होने के तीन साल बाद हमारी शादी हुई. इन तीन सालों में हमने अपना मुंह नहीं खोला. सगाई के बाद शादी से दो महीने पहले हम दोनों ने अपने घरवालों को बताया कि हम ये वर्जिनिटी टेस्ट नहीं करेंगे.

हमारी शादी में कोई पंचायत नहीं बैठेगी. काफी झगड़े हुए, समुदाय के लोगों ने बहिष्कार की धमकी दी. दोनों परिवारों के बीच विवाद हुआ, शादी टूटने की नौबत आ गई. औरतों ने मुझे आकर कहा कि जो लड़का खुद वर्जिनिटी टेस्ट का विरोध कर रहा है, जरूर उसमें ही कोई खोट होगा. हो सकता है, वो सेक्स करने के लायक ही न हो. इस लड़के से शादी करके तुम्हारी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी.


जब परिवार किसी हाल मानने को राजी न हुए तो हमारे पास और कोई रास्ता नहीं बचा था, मीडिया में जाने के सिवा. जब ये बातें विस्तार से मीडिया में उछली तो कंजरभाटों का मुंह बंद हो गया. परिवार ने चुपचाप शादी कर दी. मैं अपने समुदाय की पहली लड़की हूं, जिसकी विदाई शादी वाली रात ही हुई और जिसका कोई वर्जिनिटी टेस्ट नहीं लिया गया.

मेरे पति का सबके लिए एक ही जवाब था- मेरी पत्नी है. मैं देख लूंगा कि वो वर्जिन है या नहीं. आप लोगों को इससे कोई लेना-देना नहीं. इस साल 12 मई को मेरी शादी हुई है, लेकिन इस कुप्रथा के खिलाफ हमने जिस आंदोलन की शुरुआत की थी, उसे एक साल होने को आ रहा है. समुदाय ने पूरी तरह हमारा और हमारे परिवारों का बायकॉट कर दिया है. लेकिन किसी बड़े मकसद के लिए ये छोटी कुर्बानियां तो देनी ही होती हैं.


मुझे खुशी है कि अब और भी लड़कियां आगे आकर बोल रही हैं. मुझे इंतजार है उस दिन का, जब किसी भी लड़की की इज्जत उस खून लगी सफेद चादर से नहीं आंकी जाएगी. जब उसे माल नहीं, इंसान समझा जाएगा.

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